जानिए सोर घाटी के देवता जिन्हें वर्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है

जानिए सोर घाटी के देवता जिन्हें वर्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है

हल्द्वानी। मोस्टा देवता का मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से सात किमी की दूरी चंडाक में स्थित है। मोस्टा देवता को सोर घाटी क्षेत्र में वर्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है। हर साल भादौ के महीने ऋृषि पंचमी के दिन तीन दिन का मोस्टामानू मंदिर परिसर में एक मेले का आयोजन किया …

हल्द्वानी। मोस्टा देवता का मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से सात किमी की दूरी चंडाक में स्थित है। मोस्टा देवता को सोर घाटी क्षेत्र में वर्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है। हर साल भादौ के महीने ऋृषि पंचमी के दिन तीन दिन का मोस्टामानू मंदिर परिसर में एक मेले का आयोजन किया जाता है।

मान्यता है कि मोस्टा देवता वर्षा के देवता है। मोस्टामानू मंदिर से पूरे शहर और ऊंची घाटी का एक दृश्य आपको मंत्र मुग्ध कर देगा। मोस्टा देवता को इंद्र का पुत्र माना जाता है। और माना जाता है कि कालिका मोस्टा देवता की माता हैं। मान्यता तो यह भी है कि कालिका माता भूलोक में मोस्टा देवता के साथ निवास करती हैं।

इंद्र ने पृथ्वीलोक में उसे भोग प्राप्त करने हेतु मोस्टा को अपना उत्तराधिकारी बनाया। इस देवता के साथ चौंसठ योगिनी, बावन वीर, आठ सहस्त्र मशान रहते हैं। मोस्टया देवता के मंदिर परिसर में एक पत्थर है कोई भी बाहुबली उस पत्थर को हिला नहीं पाता , वहीं महादेव का नाम लेकर कोई भी उसे ऊंगलियों पर उठा सकता है। ये किसी चमत्कार से शिव के धाम में है। उस जाप में है या फिर उस पत्थर में है ।

स्थानीय लोक कथाओं के मुताबिक , यह मंदिर एक संत द्वारा निर्मित किया गया था , अर्थात् वो संत नेपाल से आए और इस स्थान में बस गए और यह मंदिर नेपाल के पुष्पातिनाथ मंदिर की प्रतिकृति माना जाता है।