आपराधिक जांच में सहयोग करने के अपने दायित्व का पालन करें बैंक अधिकारी: हाईकोर्ट

Amrit Vichar Network
Published By Virendra Pandey
On

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दिन- प्रतिदिन बढ़ रहे साइबर अपराधों और उनकी जांच में सहयोग न करने वाले बैंक अधिकारियों के ढुलमुल रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बैंक अधिकारियों से कानून का पालन करने वाले नागरिक होने की उम्मीद की जाती है। जो पुलिस द्वारा की जा रही आपराधिक जांच में सहयोग करने के लिए अपने कानूनी दायित्व का पालन करें।

कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि उन बैंक अधिकारियों के खिलाफ उचित आपराधिक कार्यवाही की जाए जो ऐसे मामलों में सहयोग नहीं करते हैं। पुलिस के पास साक्ष्य छिपाने या अपराध की जांच में बाधा डालने वाले अपराधियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्यवाही करने का पूरा अधिकार है। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने आलोक झा द्वारा दायर दूसरी जमानत याचिका को स्वीकार कर उसे सशर्त जमानत देते हुए की।

 मौजूदा मामले में आरोपी के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और आईटी अधिनियम की धारा 66 डी के तहत पुलिस स्टेशन -पिलखुवा, हापुड़ में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। बहस के दौरान सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बैंक अधिकारियों के कथित असहयोग के कारण जांच एजेंसी अपना काम ठीक ढंग से नहीं कर पा रही है। बैंक अधिकारी महत्वपूर्ण साक्ष्य को छिपा रहे हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि साइबर अपराध का खतरा समय के साथ भयानक रूप ले रहा है। ऐसे में पुलिस और बैंक अधिकारियों का ढीला रवैया संपूर्ण आपराधिक जांच के ढांचे को कमजोर बनाता है। कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए निचली अदालत को भी संबंधित बैंक अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो पुलिस जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें: लखनऊ: एसडीआरएफ की चार टीमों को नहीं मिला युवती का शव

संबंधित समाचार