रामपुर: रजा लाइब्रेरी से पांडुलिपि और प्राचीन एलबम गायब

रामपुर: रजा लाइब्रेरी से पांडुलिपि और प्राचीन एलबम गायब

रामपुर, अमृत विचार। रजा लाइब्रेरी की दो अनमोल किताबें फोटोग्राफ्स मक्का एंड मदीना और तफसीर-ए-माहीमी गायब हैं। दोनों किताबें रजा लाइब्रेरी के रिकार्ड रूम में दर्ज हैं। रजा लाइब्रेरी से गायब हुई किताबों की बाबत पूछे जाने पर अधिकारी टाल-मटोल कर रहे हैं। इसके अलावा रामपुर के इतिहास से संबंधित किताब अखबारुल सनादीद का हिन्दी अनुवाद कई वर्ष पहले हो चुका है लेकिन, प्रकाशन नहीं हुआ है। 

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फोटोग्राफ्स ऑफ मक्का एंड मदीना दुनिया की इकलौती किताब है। जोकि, रजा लाइब्रेरी के कैटलॉग में 700/21 में दर्ज है। यह रामपुर के नवाब द्वारा स्वयं तैयार कराई गई थी। जबकि दूसरी किताब तफ्सीर-ए-माहीमी दिल्ली निवासी तंजीम रजा फारूकी ने रजा लाइब्रेरी के तत्कालीन विशेष कार्यकारिणी अधिकारी डा. वकारुल हसन सिद्दीकी को भेंट की थी। जिसका भुगतान रजा लाइब्रेरी द्वारा चेक द्वारा किया गया था। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के क्षेत्रीय सेवा प्रमुख उत्तराखंड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश फैसल मुमताज ने रजा लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन डॉ. अबुसाद इस्लाही से इस बाबत जानकारी ली।

उन्होंने इस बाबत कहा कि रामपुर रजा लाइब्रेरी में हजारों तरह की किताबें हैं, कहीं मिस हो गई होंगी। इस में मैं क्या करूं इसमें मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं है। ये काम डॉयरेक्टर और सेक्शन इंचार्ज का है, इस बारे में आइंदा मुझसे बात नहीं करना, मैं किताबें जेब में लेकर नहीं घूमता हूं। इसके अलावा रामपुर के इतिहास से संबंधित किताब अखबारूस सनादीद जो लाइब्रेरी में मौजूद है, उसका हिन्दी अनुवाद कई वर्ष पहले हो चुका है। लेकिन उसका प्रकाशन नहीं हो पाया है। इसका प्रस्ताव बोर्ड की मीटिंग में नहीं रखा गया है। 

इसके अलावा दर्जन भर से अधिक फारसी की किताबों का हिंदी अनुवाद कराया गया था जिसे कई साल बीत चुके हैं, जिसका जिक्र लाइब्रेरी की वार्षिक रिपोर्ट में भी कई सालों से किया जा रहा है। लेकिन अनुवादकों का भुगतान और किताबों का प्रकाशन नहीं हुआ है। फोटोग्राफ्स ऑफ मक्का एंड मदीना दुनिया की इकलौती किताब नवाब यूसुफ अली खां (1855-65 के बीच) के दौर की है। 

नहीं जल रहे रजा लाइब्रेरी के फानूस के तीन बल्ब
 रजा लाइब्रेरी के दरबार-ए-हाल में एक बड़ा फानूस और चार छोटे फानूस लगे हैं। इन्हें नवाब हामिद अली खां ने आस्ट्रिया से मंगवाया था। इनमें सौ से ज्यादा बल्ब लगे हैं। इनमें से कोई भी बल्ब सौ साल बाद भी फ्यूज नहीं हुआ है। इन फानूसों में बेल्जियम से मंगाया गया था, इसकी बनावट में कांच इस्तेमाल हुआ है जबकि वायरिंग जर्मनी के तार से की गई है। सौ साल पहले इस हाल में अंडर ग्राउंड वायरिंग की गई है और आज तक इसमें कोई फाल्ट नहीं आया है। पिछले कुछ समय से तीन बल्ब तकनीकी कारणों से नहीं जल रहे हैं। जबकि रजा लाइब्रेरी में इलेक्ट्रीशियन  के पद पर नियमित कर्मचारी तैनात है। लेकिन, बल्ब दुरुस्त नहीं कराए गए हैं।   

निदेशक की मुकम्मल तैनाती की मांग
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के उत्तराखंड एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय सेवा प्रमुख ने शहर विधायक आकाश सक्सेना को भेजे पत्र में कहा है कि  20 फ़रवरी 2020 को निदेशक रामपुर रजा लाइब्रेरी का कार्यकाल समाप्त हो गया था। पिछले तीन वर्ष से रामपुर रज़ा लाइब्रेरी का चार्ज  जिलाधिकारी  के पास है। जिलाधिकारी द्वारा अपना पूर्ण समय रामपुर रज़ा लाइब्रेरी को देना सम्भव नही है। ऐसे में रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के भविष्य को ध्यान में रखते हुए रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के डायरेक्टर की तैनाती कराई जाए। साथ ही लाइब्रेरी के अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति भी कराई जाए।

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