बरेली: ... क्योंकि अफसरों की इन चिट्ठियों में ही जन्म है और इन्हीं में मौत भी

आरसीसीएमएस पोर्टल से प्रमाणपत्र बनाने का एसडीएम को दिया गया था आदेश

बरेली: ... क्योंकि अफसरों की इन चिट्ठियों में ही जन्म है और इन्हीं में मौत भी

बरेली, अमृत विचार। सरकारी कामकाज चिट्ठियों से चलते हैं और चिट्ठियों से अटकते भी हैं। एक साल या उससे ज्यादा देरी से किए गए जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने वाले हजारों लोगों के साथ यही हो रहा है। अफसरों के बीच तीन महीने से चिट्ठियों के जरिए अपनी टोपी उसके सिर का सिलसिला चल रहा है। अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है, आवेदक भागदौड़ कर रहे हैं और सरकारी दफ्तरों से टका सा जवाब सुनकर निराश लौट रहे हैं।

गृह मंत्रालय के जनगणना कार्य निदेशालय ने तीन महीने पहले आदेश जारी किया था कि एक साल या उससे ज्यादा देरी से किए गए आवेदन पर जन्म-मृत्यु के प्रमाणपत्र आरसीसीएमएस पोर्टल यानी राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली से बनेंगे। आदेश में इसके लिए एसडीएम को अधिकृत किया गया लेकिन यहां प्रशासन के स्तर पर इसमें एक के बाद एक ऐसे पेच फंसते गए कि तीन महीने बाद भी यह प्रक्रिया शुरू होने में नहीं आ रही है।

अफसरों के बीच चिट्ठीबाजी की शुरुआत आरसीसीएमएस पोर्टल की लॉग इन आईडी और पासवर्ड न होने के तर्क पर शुरू हुई और एक-दूसरे को तमाम चिट्ठियां लिखे जाने के बावजूद अब तक वहीं अटकी हुई है। पहले सिटी मजिस्ट्रेट ने एसडीएम सदर को लिखा कि डीएम के आदेश पर शहर के साथ कैंट बोर्ड क्षेत्र के भी जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र भी आरसीसीएमएस पोर्टल के जरिए बनाने के लिए उन्हें नामित किया गया है। वह ये प्रमाणपत्र इसलिए जारी नहीं कर सकते क्योंकि उनकी लॉग इन आईडी ही जारी नहीं हुई है।

सिटी मजिस्ट्रेट को चिट्ठी के जरिए ही एसडीएम सदर का जवाब मिला कि राजस्व परिषद ने उनके कार्यालय का भी लॉग इन आईडी और पासवर्ड नहीं बनाया है, इसलिए उनके स्तर पर कुछ करना संभव नहीं है। मामला कुछ दिन यहीं अटका रहा, फिर 15 मार्च को निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार शीतल वर्मा की ओर से जारी पत्र का हवाला देते हुए नगर आयुक्त निधि गुप्ता वत्स ने सिटी मजिस्ट्रेट को चिट्ठी लिखी कि 15 मार्च को विलंबित प्रकरणों के लिए डीएम ने उन्हें नामित किया है। इससे संबंधित आदेश आरसीसीएमएस पोर्टल से जारी किए जाएंगे।

नगर आयुक्त की चिट्ठी के बाद सिटी मजिस्ट्रेट रेनू सिंह ने एसडीएम सदर को चिट्ठी लिखी कि डीएम के कार्य विभाजन के अनुसार पहले से नगर निगम क्षेत्र और कैंट बोर्ड से संबंधित विलंबित जन्म एवं मृत्यु के प्रकरणों के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को प्रभारी अधिकारी नामित किया गया था। इसी के क्रम में डिले कंडोन (विलंब माफी) के आदेश किए जा रहे थे।

जिला सूचना विज्ञान अधिकारी के जवाब के बाद भी नहीं बनी बात
चिटि्ठयों का लंबा दौर चलने के बाद जिला सूचना विज्ञान अधिकारी को भी इसमें लपेटा गया। एसडीएम ने उनसे पूछा कि सिटी मजिस्ट्रेट को आरसीसीएमएस पोर्टल आवंटित है या नहीं। उन्होंने 14 अप्रैल को जवाब दिया कि सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय को आरसीसीएमएस पोर्टल पर राजस्व परिषद ने लॉग इन आईडी और पासवर्ड उपलब्ध नहीं कराया है। डीएम के तीन मई को जारी आदेश पर लॉग इन आईडी और पासवर्ड उन्हें ही आवंटित किया गया है। अब एसडीएम सदर प्रत्यूष पांडेय ने फिर सिटी मजिस्ट्रेट को चिट्ठी भेजी है कि वह ग्रामीण क्षेत्र के एक साल से विलंबित जन्म-मृत्यु के प्रकरणों में ऑफलाइन ही विलंब माफी के आदेश दे रहे हैं। उनके कार्यालय को राजस्व परिषद ने कोई लॉग इन/पासवर्ड नहीं उपलब्ध कराया है। इस कारण उनके स्तर से कोई कार्यवाही किया जाना संभव नहीं है।

यह लिखा है शासन के आदेश में...
निदेशक एवं संयुक्त महारजिस्ट्रार शीतल वर्मा के आदेश में लिखा है कि सभी सरकारी चिकित्सा संस्थान जन्म एवं मृत्यु रजिस्ट्रार के रूप में अधिसूचित हैं। इसके तहत सरकारी चिकित्सा संस्थान में घटित जन्म अथवा मृत्यु की घटना का स्वत: संज्ञान लेकर समयबद्ध पंजीकरण किया जाना चाहिए लेकिन इन संस्थानों में देरी से पंजीकरण नहीं होने चाहिए। विलंबित प्रकरण एसडीएम ही देखेंगे और उनके स्तर से ही आदेश जारी किए जाएंगे।

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