पीलीभीत: नेताजी..मिल तो चली नहीं, जमीन भी सुरक्षित नहीं रखा पाए जिम्मेदार !

पीलीभीत: नेताजी..मिल तो चली नहीं, जमीन भी सुरक्षित नहीं रखा पाए जिम्मेदार !

पीलीभीत/मझोला,अमृत विचार। बंद पड़ी मझोला चीनी मिल को चालू कराने के लिए एक दशक से उठ रही मांग धरातल पर शून्य है।  परिवारों का पलायन बीते कई सालों में आम बात हो चुकी है। वहीं, बंद पड़ी मझोला चीनी मिल की बेशकीमती जमीन को सुरक्षित रख पाने में भी जिम्मेदार बेपरवाह बने हुए हैं। बताते हैं कि कई अतिक्रमणकारियों ने तो पक्के निर्माण भी करा लिए हैं। उन पर लंबे समय बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।

बता दें कि उत्तराखंड की सीमा से सटे कस्बा मझोला में स्थापित की गई मझोला चीनी मिल 2009-10 से बंद पड़ी है। मिलों में काम करने वाले कार्मिकों के परिवार तो पलायन कर चुके हैं। अभी चालीस परिवार बसे हुए हैं। मिल तराई के जनपद में चुनावी मुद्दा बनी रही है।

खैर, मिल के चलने न चलने को लेकर तो निर्णय शासन स्तर पर हो सकेगा। मगर, इस मिल की बेशकीमती जमीन भी है। मिल आंदोलन से जुड़े जिम्मेदारों की मानें तो मझोला चीनी मिल की करीब 128.95 डिसमिल  जमीन है। रेलवे लाइन पार के भी कुछ प्लाट मिल के ही बताए जाते हैं। 

अभी हाल ही में नगर पंचायत की ओर से किए गए आयोजन वाली भूमि को भी मिल का ही बताया जाता है। जब कारखाना बंद हुआ और कर्मचारी परिवार पलायन करते चले गए। इसके बाद खाली पड़ी मिल की जमीन पर  अतिक्रमणकारियों की नजर पड़ गई।आरोप है कि काफी हिस्से पर कब्जा कर लिया गया। उस पर पक्के निर्माण भी करा लिए गए।

जिसके बाद इस जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया जा सका है।  मिल चलवाने की बातें तो फिर भी चुनावी मुद्दों में शुमार हो जाती है, लेकिन इन अवैध कब्जों को लेकर कभी कोई बात भी नहीं कर रहा। बताते हैं कि पूर्व में एक बार जरुर अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई थी, लेकिन उसके बाद निगरानी नहीं कराई जा सकी और हालात दोबारा पुन: जैसे बन गए।

चलाए गए अभियान में भी नहीं उठाए गए कदम
बता दें कि भाजपा सरकार ने जमीनों से अवैध कब्जे हटवाने के लिए अभियान चलाए। इसमें तमाम स्थानों पर जमीनों पर काबिज अतिक्रमण कारियों को खदेड़ दिया गया। मगर सत्ता के इस अभियान में भी मझोला चीनी मिल की जमीन पर किए गए अवैध कब्जे नहीं हट सके।  इस पर जिम्मेदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया, नतीजतन अभी भी मिल की जगह पर अवैध कब्जे बताए जाते हैं।

चेयरमैन ने भी की मिल की जमीन पर कब्जे की पुष्टि
नगर पंचायत गुलड़िया भिंडारा के चेयरमैन निशांत प्रताप सिंह ने भी अवैध कब्जों की पुष्टि की। उनका कहना है कि यह बात सही हे कि चीनी मिल की जमीन पर अभी भी अवैध कब्जे हैं। मगर अवैध कब्जों को लेकर नगर पंचायत स्तर से कार्रवाई नहीं की जा सकती है। उस पर स्वामित्व नगर पंचायत का नहीं है। प्रशासनिक स्तर से उस पर कार्रवाई पूर्व में कराई गई थी

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