शाहजहांपुर: हवा का हाल बताने को दस लाख का इंतजाम नहीं! टूटी सड़कों से उड़ रही धूल...बढ़ रहा प्रदूषण का खतरा

शाहजहांपुर: हवा का हाल बताने को दस लाख का इंतजाम नहीं! टूटी सड़कों से उड़ रही धूल...बढ़ रहा प्रदूषण का खतरा

शाहजहांपुर, अमृत विचार: महानगर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहे हैं और दूसरी ओर शहर तक पहुंचने वाली कई सड़कें बदहाल हैं। निर्माण कार्य और टूटी सड़कों से धूल उड़ रही है। जिसके चलते लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। आश्चर्य की बात यह है कि हवा का हाल बताने के लिए यहां संसाधन ही नहीं हैं। प्रदूषण मॉनीटिरंग सिस्टम आज तक लग ही नहीं पाया है तो प्रदूषण कम है या ज्यादा कैसे पता चले। महानगर में दो सिस्टम लगाए जाने की जरूरत है, जिसके लिए दस लाख रुपये चाहिए और दस लाख की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। 

प्रदूषण वर्तमान समय में ज्वलंत समस्या है। बड़े शहरों में इससे बचाव को लेकर युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि वहां प्रदूषण मापक यंत्र लगे हुए हैं इसलिए हवा का हाल पता चलता रहता है। अपने शहर में यंत्र ही नहीं तो कैसे पता चले कि प्रदूषण का स्तर आखिर क्या है। अभी आधी-अधूरी व्यवस्थाओं से प्रदूषण मापकर जैसे तैसे काम चलाया जा रहा है। 

जिले के लोग वायु प्रदूषण की वास्तविक स्थिति से अन्जान हैं। महानगर बनने के साथ ही तमाम विकास कार्य महानगर के  साथ-साथ जिले में हो रहे हैं। पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने का भी बीड़ा उठाया गया है। सभी सुविधाओं से शहीदों की नगरी को सुसज्जित करने के लिए खजाना खोल दिया गया है। मौजूदा समय में करीब 80 करोड़ से ज्यादा की विकास योजनाएं जिले में चल रही हैं। इनमें अधिकतर धरातल पर उतर चुकी हैं।

कुछ में कार्य तेजी से चल रहे हैं। एकाएक शुरू हुए तमाम निर्माण कार्यों की वजह से जगह-जगह उठने वाले धूल के गुबार ने यहां की हवा खराब कर दी है। जब भी देश में कहीं प्रदूषण को लेकर स्थिति गंभीर होती है महानगर की हवा की स्थिति जांचने की मांग उठने लगती, लेकिन यहां ऐसा कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है जिससे महानगर का प्रतिदिन का प्रदूषण मापा जा सके। ब

ताया जा रहा है कि शहरीकरण बढ़ने के साथ-साथ प्रदूषण का स्तर भी बढ़ रहा है। ऐसे में प्रदूषण से निपटने के लिए पूरे एक स्टेशन का निर्माण होता है। इसके साथ ही दो स्थानों पर प्रदूषण मापक यंत्र लगाए जाते हैं। इस कवायद में कोई बहुत ज्यादा खर्च भी नहीं आता है। विशेषज्ञों की मानें तो यह दस से 12 लाख रुपये का काम है। 

शहर के छावनी क्षेत्र व सदर बाजार के इर्द-गिर्द परिवेशीय गुणवत्ता अध्ययन केंद्र की जरूरत है। केंद्र सरकार की ओर से इसकी स्वीकृति दी जाती है। इनके लगने से प्रदूषण तुलनात्मक डाटा उपलब्ध रहेगा। एडीएम प्रशासन संजय कुमार पांडेय ने बताया कि प्रदूषण मॉनीटरिंग सिस्टम के विषय में उन्हें जानकारी नहीं है। संभवत: यह कार्य नगर निगम की ओर से किया जाता होगा। 

एसएस कॉलेज में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता डॉ. अनिल सिंह ने बताया कि अगर प्रतिदिन का एक्यूआई मापना है तो प्रदूषण मॉनीटरिंग सिस्टम लगाया जाना चाहिए। ऐसा महानगर बनने की दृष्टि से भी किया जाना चाहिए। ताकि जनता को यह पता चल सके कि आखिर हमारे यहां प्रदूषण का स्तर है क्या। एक प्रदूषण सिस्टम की जरूरत है। - डॉ. अनिल शाह, प्रवक्ता भौतिक विज्ञान, एसएस लॉ कालेज।

प्रदूषण की मॉनीटरिंग के लिए नगर निगम की ओर से कोई यंत्र नहीं लगाया जाता है। संभवत: यह काम प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से किया जाना चाहिए। इस संबंध में पीसीबी के अधिकारी ज्यादा बेहतर बता सकते हैं--- संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त।

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