बदायूं: टिकट पाने की चाह में संघ दरबार में भाजपा के दावेदार, कर रहे पैरवी 

बदायूं: टिकट पाने की चाह में संघ दरबार में भाजपा के दावेदार, कर रहे पैरवी 

बदायूं,अमृत विचार।  लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है। प्रथम चरण के नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। परंतु बदायूं लोकसभा सीट से सपा को छोड़ अभी तक किसी भी दल ने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है। बसपा भाजपा की ओर निहार रही है।

भाजपा के प्रत्याशी की घोषणा के बाद ही बसपा प्रत्याशी का समाने आ जाएगा। वहीं बदायूं  लोकसभा सीट पर भाजपा से टिकट पाने के लिए कुछ दावेदार संघ के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। टिकट की चाह में उनकी ओर से हर स्तर पर पैरवी की जा रही है।

भाजपा ने एक और सूची गुरुवार को जारी की पर उसमें बदायूं के प्रत्याशी के नाम का नाम शामिल नहीं था। भाजपा के पदाधिकारियों की माने तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का फीडबैक प्रत्याशी चयन मे अहम होता है पर संघ अपना फीडबैक पहले ही दे चुका है।

भाजपा के पदाधिकारियों ने बताया कि आरएसएस के पदाधिकारी गोपनीय ढंग से अपने कार्य को अंजाम देते हैं। इसके बाद भी के कुछ नेता संघ के आला पदाधिकारियों के संपर्क में हैं। उनको उम्मीद है कि किसी तरह से उनके टिकट का जुगाड़ हो जाए।

आरएसएस अभी खामोश है और उनसे किसी तरह का वादा नहीं कर रहा। दावेदारी की लाइन में लगे कुछ लोगों ने पहले भी संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से संपर्क साधा था पर बात नहीं बनी। आरएसएस ने पूर्व में पार्टी के नेताओं को अपना फीडबैक दे दिया है। ऐसे में फिलहाल उनके हाथों मायूसी लगी है। 

टिकट के दावेदारों की फेयरहिस्त है लंबी 
भाजपा के पदाधिकारियों की बातों पर गौर किया जाए तो बदायूं लोकसभा सीट से टिकट पाने वालों की फेयरहिस्त काफी लंबी है। टिकट पाने की दौड़ में दातागंज से विधायक रहे सिनोद शाक्य ऊर्फ दीपू भैया, ब्रज के अध्यक्ष र्दुविजयसिंह शाक्य, पूर्व एमएलसी जितेंद्र यादव तथा गुन्नौर से विधायक रहे अजीत यादव के साथ ही वर्तमान सांसद और स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री डॉ संघमित्रा मौर्य भी टिकट पाने की ख्वाहिश लिए दिल्ली तक की दौड़ लगा रही हैं। 
शाक्य या मौर्य हो सकता है भाजपा का प्रत्याशी 
वर्ष 2011 में बदायूं जनपद की जनसंख्या 36,81,896 थी। जो  कि वर्ष 2024 में अनुमानित    4,460,000 पहुंच चुकी है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बहुसंख्यक वर्ग की जनसंख्या 2,867,707 है। जो कि कुल जनसंख्या का 77.89 प्रतिशत बनती है।

वहीं अल्पसंख्यक खासकर मुल्सिम 790,515 हैं जो कि 21.47 प्रतिशत बनती है। राजनैतिक दलों के आंकड़ों के हिसाब से बहुसंख्यक वर्ग में यादवों की संख्या करीब 4  लाख से अधिक बनी है। वहीं तीन  लाख से अधिक मौर्य और शाक्य वोट माना जाता है। एमवाई फैक्टर के चलते ही बदायूं लोकसभा सीट सपा का गढ़ रही है।

2019 को चुनाव छोड़ दिया जाए तो 1996 के बाद सपा कोई चुनाव नहीं हारी। वहीं भाजपा सवर्ण वर्ग को अपना वोट बैंक मानती है। इसी सवर्ण और शाक्य मौर्य वोट बैंक की संख्या को आधार मानकर ही प्रत्याशी का चयन भाजपा के द्वारा किया जाता रहा है। भाजपा के पदाधिकारियों की माने तो इस बार भी पार्टी आलाकमान द्वारा शाक्य, मौर्य को ही अपना प्रत्याशी बनाएगी। 

उत्साहित हैं पार्टी कार्यकर्ता  
बदायूं लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी के ऐलान नहीं होने से भाजपा कार्यकर्ताओं में भी उत्सुकता है। पार्टी के नेता कुछ सीटों पर केंद्रीय चुनाव समिति की अपनी वजह मान रहे हैं। वह इस मामले मे किसी तरह का बयान देने से बच रहे हैं। फिलहाल जिन लोगों के नाम कयासों के दौर में सबसे ऊपर चल रहे हैं पर टिकट किसका होगा कहा नहीं जा सकता। या फिर भाजपा का प्रत्याशी पैरासूट भी हो सकता है।

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