बलि सभ्य समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला कृत्य: हाईकोर्ट

बलि सभ्य समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला कृत्य: हाईकोर्ट

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मानव बलि देने वाले आरोपी की सजा को बरकरार रखते हुए अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बच्चों की बलि सभ्य समाज की अंतरात्मा को झकझोर देने वाला कृत्य है। ऐसी सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगाने के लिए सभी को इसकी निंदा करनी चाहिए। ऐसे मामले अंधविश्वास और हमारे समय की दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकताओं का एक निकृष्ट उदाहरण है। 

उपरोक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने 47 वर्षीय राजेंद्र प्रसाद गौड़ को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखते हुए दोषसिद्धि के खिलाफ उसकी याचिका खारिज करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार 12 अप्रैल 2023 को शिकायतकर्ता अपनी पत्नी गंगोत्री, बेटी, दामाद और अपने 11 महीने के शिशु (मृतक) के साथ झाड़- फूंक द्वारा पत्नी की मानसिक बीमारी का इलाज करने के लिए मेले में जा रहे थे। 

मेले में एक 'ब्रह्म बाबा स्थान' था, जहां भूत-प्रेत भगाने का काम किया जाता था। याची ने झाड़- फूंक के बहाने बच्चे को उठाया और 10 कदम दूर जाकर बेरहमी से चाकू गोद कर मार डाला। अनेक प्रयासों के बाद भी शिकायतकर्ता व उनके परिवारीजन याची को पकड़ने में सफल नहीं हुए। 

हालांकि बाद में याची को गिरफ्तार कर लिया गया। ट्रायल कोर्ट ने याची को दोषी पाते हुए सजा सुनाई। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की गई। मामले के अनुसार याची के विरुद्ध पुलिस स्टेशन बभनी जिला सोनभद्र में आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था। अंत में कोर्ट ने अभियुक्त की याचिका खारिज करते हुए उसकी सजा बरकरार रखी।

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