सुलतानपुर: चार दशक बाद भी नहीं पूरी हो सकी चंदौर की चकबंदी, एमएलसी ने डीएम को सौंपा पत्र, रखी यह मांग

सुलतानपुर: चार दशक बाद भी नहीं पूरी हो सकी चंदौर की चकबंदी, एमएलसी ने डीएम को सौंपा पत्र, रखी यह मांग

धनपतगंज/सुलतानपुर, अमृत विचार। विकासखंड के ग्राम पंचायत चंदौर की चकबंदी 40 वर्ष बाद भी पूरी नहीं हो सकी। किसानों ने चल रही चकबंदी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर  सवाल खड़ा करते हुये डीएम को प्रार्थना पत्र दिया है। एमएलसी शैलेन्द्र प्रताप सिंह ने भी ग्राम पंचायत में चकबंदी को लेकर एक पत्र डीएम को सौंपा है।

मामला बल्दीराय तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत चंदौर से जुड़ा है। जहां उम्मीदों की डोर थामे लोग बुढ़ापे की दहलीज पर आकर खड़े हो गए। फिर भी विरासत मे नाम दर्ज होने का सपना आज भी पूरा नहीं हो सका। बताते चलें कि वर्ष 1984 में जब चकबंदी शुरू हुई तो लोगों को खुशी थी कि दूर दराज तक बिखरे उनके खेत एक गाटे  में दर्ज हो जाएंगे।

साथ ही अपने खेतों तक पहुंचने के लिये चकमार्ग मिल जाएगा। विकास के लिए गांव के रास्ते सेक्टर मार्ग बनाया जायेगा। लेकिन ग्रामीणों का यह सपना पूरा न हो सका। ग्रामीणों का आरोप है की शुरुआती दौर में ही भूमाफिया ने सारी चकबंदी प्रक्रिया को अधिकारियों की मिलीभगत से मुट्ठी में कर लिया।

चकबंदी के शुरुआती दौर में ही कुछ लोगों को नाजायज लाभ देने के लिए अधिकारियों ने मूल नक्शा और खतौनी को नष्ट कर दिया। ग्रामीणों के विरोध पर चकबंदी कार्य रुक गया। लंबी लड़ाई के बाद वही मनचाहा नक्शा और कागजात के आधार पर प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए वर्ष 2011 में आकर पत्र 23 बना डाला। इसकी जानकारी जब काश्तकारों को हुई तो ग्रामीणों ने इसकी शिकायत चकबंदी आयुक्त से की तो आयुक्त ने मूल खतौनी नक्शा के माध्यम से सत्यापन और इंद्राज के मिलान का विभाग को आदेश दिया। साथ-साथ बंदोबस्त दोयम के इंद्राजों से मिलान के बाद पुष्टीकृत नक्शा बनाने और धरातलीय परीक्षण करते हुये गाटा की जांच करने के बाद चकबंदी का फाइनल रिकॉर्ड 41/45 तथा फाइनल नक्शा उसी के आधार पर बनाने का निर्देश दिया।

ग्रामीणों का आरोप है की चकबंदी आयुक्त के आदेशों को दरकिनार कर अधिकारियों ने चकबंदी आयुक्त के जारी पिछले आदेश के उन सभी बिंदुओं की जांच और सत्यापन और सुधार किए बगैर दोबारा बंदोबस्त नक्शा और 41-45 बनाया जा रहा है। विभागीय अनियमितता की एक बार फिर भनक लगते ही ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर करते हुए एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह के माध्यम से जिला अधिकारी से जांच कर अभिलेख दुरुस्त कराए जाने की मांग की है।

ग्रामीणों का कहना, भ्रष्टाचार के दलदल में फंसी प्रक्रिया

धर्मपुर निवासी चंद्रिका प्रसाद का कहना है कि पूरी चकबंदी प्रक्रिया ही भ्रष्टाचार के दलदल में फसी है। मेरे गांव तक पहुंचने के लिए नक्शे में कोई मार्ग ही नहीं दर्शाया गया है।  सब विभाग मनमाने ढंग से कर रहा है। चक मार्ग तक नहीं निकाला गया है नक्शे में, कोई सुनने वाला नहीं है।

गांव के ही अमरनाथ तिवारी कहते है कि सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस चकबंदी को महज 5 वर्षों मंे पूरा हो जाना चाहिए, वह 40 वर्षों में भी पूरी नहीं हो सकी। आखिर कुछ तो गड़बड़ है। हमारा चक 5 बीघे कम है। सेक्टर रोड हमारे चक मे बना दिया गया है।

गांव के पूर्व प्रधान रहे राज सिंह का कहना है कि धरातल पर आकर विभाग पुष्टीकृत नक्शे से  गाटा मिलान, सेक्टर रोड, चकमार्गाें का  मिलान  काश्तकारों के समक्ष करने से क्यों कतरा रहा है। बहुत बड़ा खेल चकबंदी में चल रहा है। चकबंदी पूरी न होने से ग्रामीणों को तमाम योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

ग्राम पंचायत चंदौर के राजस्व रिकार्ड बनाया जा रहा है। सार्वजनिक हितों को ध्यान में रखते हुए इसका दुरुस्तीकरण चल रहा है। स्थलीय निरीक्षण कर जल्दी ही चकबंदी प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.., अजय तिवारी, चकबंदी अधिकारी सुलतानपुर।