बाराबंकी: निर्माण में लापरवाही की भेंट चढ़े अधिकतर अमृत सरोवर

बाराबंकी: निर्माण में लापरवाही की भेंट चढ़े अधिकतर अमृत सरोवर

कहीं सूखे पड़े सरोवर, तो कहीं बेंच और इंटरलॉकिंग भी टूटी

पूर्व DM ने जिसे दी थी आदर्श सरोवर की संज्ञा, वह भी बदहाल

किंहौली का सरोवर सबसे सुंदर, दूर-दूर से पहुंचते हैं लोग


रामनगर/ बाराबंकी,अमृत विचार। पिछले साल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप प्रदेश के सभी जिलों में अमृत सरोवरों के निर्माण को लेकर प्रदेश व केन्द्र की सरकार के मंत्रियों ने बड़ी तेजी दिखाई। अमृत सरोवरों को लेकर भाजपा सरकार के मंत्रियों से लेकर जनप्रतिनिधियों व प्रशासनिक तंत्र ने पहले ब्लॉक स्तर और फिर पंचायत स्तर पर इन सरोवरों को विकसित कर स्थानीय स्तर पर इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने को लेकर बडे़ बडे़ संकल्प लिए और आनन- फानन में एक भारी भरकम बजट भी दिया। जिले में इसको लेकर बीते वर्ष मार्च में जलशक्ति मंत्री रहे स्वतंत्र देव सिंह ने रसौली में अमृत सरोवरों का निर्माण कर उसे जलाशय का रूप देने की डेडलाइन निर्धारित कर सख्ती से पालन कराने के निर्देश अधिकारियों को दिए।

सरकार की इसके पीछे मंशा थी कि भीषण गर्मी में पशु पक्षियों को जहाँ प्यास बुझाने को जल श्रोत मिल सकेगा वही वर्षा ऋतु में जलसंचयन भी होता रहेगा। यही नहीं सरोवरों के चारों तरफ पेड़ पौधे लगाकर स्थानीय लोगों को सुबह शाम स्वक्छ वातावरण में टहलने बैठने की सुविधा मुहैय्या होगी। लेकिन साल भर से अधिक समय बीत जाने के बाद भी जिले के कहीं सरोवरों में पानी नहीं तो कहीं सरोवर पर जाने के लिए बने पथ की इंटरलॉकिंग टूटी पडीं है। अमृत विचार प्रतिनिधि ने रविवार को रामनगर तहसील क्षेत्र में स्थित सरोवरों की जमीनी पड़ताल की और उसमें जो दिखा उसे हूबहू कलमबद्ध कर अपनी बात को पाठकों व  प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुचानें की कोशिश की। 

प्रस्तुत है रामनगर से हमारे संवाददाता विवेक शुक्ला की रिपोर्ट-

विकासखंड रामनगर में कुल 28 अमृत सरोवरों का निर्माण होना था। जिसके लिए स्थान का चिन्हांकन कर 20 सरोवरों का काम कागजों पर पूरा करवा दिया गया। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। यहां बहुत से ऐसे अमृत सरोवर हैं जहां बैठने की बेंच टूट चुकी है तो कही बाउंड्रीवाल बन ही नहीं सकी। जबकि कहीं पानी ही नहीं है। जिसके चलते इनकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि सुकून देने वाली बात यह है कि तहसील क्षेत्र में कुछ अमृत सरोवर ऐसे भी हैं, जो इतनी बेहतर तरीके से विकसित किए गए हैं कि उन्हें देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। 
 
केस-1
ग्राम पंचायत अमोली कला में बना स्वतंत्रता सेनानी माता प्रसाद मिश्र मातनताल अमृत सरोवर सूखा पड़ा है। तालाब के चारों ओर बनाई गई इंटरलॉकिंग व बाउंड्री वॉल एक साइड में धराशाई हो गयी है। यहां बेंच व पेड़ पौधें तो लगाए गए है। लेकिन प्रकाश की उचित व्यवस्था नहीं है। यहां आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पूर्व में तैनात जिला अधिकारी डा. आदर्श सिंह ने इसी अमृत सरोवर को आदर्श अमृत सरोवर की संज्ञा दी थी। लेकिन देखरेख के अभाव में इस सरोवर की हालत बद्तर होती चली गई।

केस- 2
ग्राम पंचायत तेलयानी में बना शाहिद विपिन चंद्रपाल अमृत सरोवर सूखा पड़ा है और अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। तालाब के चारों ओर लगी इंटरलॉकिंग, लोगों को बैठने के लिए लगाई गई ज्यादातर बेंच टूटी पड़ी है। पूरे तालाब में झाड़ियां उगी हुई हैं। बाउंड्री वाल की भी व्यवस्था नहीं है।

केस-3 
ग्राम कुम्हरवा में कैप्टन मनोज कुमार पांडेय अमृत सरोवर में पानी है, लेकिन यहां पर तालाब के चारों ओर बनाई गई इंटरलॉकिंग जगह-जगह टूटी है। पेड़ पौधे भी नहीं लगाए गए हैं। चारों ओर झाड़ियां और गंदगी है। बेंच, प्रकाश आदि की भी व्यवस्था नहीं हो पाई है।

केस-4
ग्राम दलसराय में शहीद खुदीराम बोस अमृत सरोवर में दिखावे भर का पानी भरा है। जिसमें झाड़ियों ने अपना डेरा डाल रखा है। यहां पर बेंच, प्रकाश आदि की व्यवस्था नहीं है। पेड़ पौधे भी नहीं लगाए गए। यह अमृत सरोवर बदहाल स्थिति में है।

केस-5 
ग्राम किंहौली में श्री मुरलीधर ओझा अमृत सरोवर को सरकार की मंशा के अनुरूप विकसित किया गया है। यह विकासखंड रामनगर का सबसे सुंदर सरोवर है। ग्राम प्रधान उषा सिंह व सचिव निखिल कनौजिया की देखरेख में यहां पर पार्क से लेकर प्रकाश, बेंच, मछली पालन आदि की बेहतर व्यवस्था कराई गई है। शाम होते ही क्षेत्र के सैकड़ों लोग यहां पहुंचकर स्वच्छ वातावरण का आनंद लेते हैं। सेल्फी भी लेकर खूब वायरल करते हैं। उच्च अधिकारी भी इस सरोवर के निरीक्षण के दौरान ग्राम प्रधान व सचिव की सराहना करते चले आ रहे हैं।

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