प्रयागराज: चिता की ठंडी राख पर हो रही सुकून की खेती, कछारी इलाकों में खेती कर चला रहे परिवार

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Published By Anjali Singh
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संवाददाता मिथलेश त्रिपाठी/प्रयागराज, अमृत विचार। कोरोना काल में जहां लोग अपनों को खोकर उनकी अंतिम क्रिया कर रहे थे। आज उस जगह पर किसान भीषण गर्मी में लोगों को सुकून पहुंचा रहे है। आजाद सेतु के नीचे गंगा किनारे घाट के समीप अपनों की विदाई करते है। वहीं आज लोग कई फसलों की खेती कर अपने परिवार के लिए के आजीविका का साधन बना चुके है। इससे अच्छी कमाई कर रहे हैं।

बल्कि इस भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप में राहत देने के लिए खीरा, काकड़ी तरबूज, हिरमंजी की खेती कर रहे है। मालूम हो कि कछारी भाग काफी उपजाऊ माना जाता है। गर्मियों में गंगा नदी का जलस्तर कम होने पर कई किसान उस जगह सब्जियों की बुआई कर रहे है। जहां पर अच्छी पैदावार होती है।

इस भीषण गर्मी में ये फसले लोगों को गर्मी से राहत देने का काम रही है। इतना ही नहीं श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को गर्मी में पानी की समस्या से परेशान होना पड़ता है। ऐसे में इसी ककड़ी और खीरे व तरबूज से लोगों को अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। 

फाफामऊ से होती है सप्लाई

कछार में खेती करने के बाद वहां से पैदा होने वाली काकड़ी, खीरा, हिरमंजी की सप्लाई फाफामऊ सहित पूरे शहर में की जाती है। 

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