अमेरिका की सोच संकीर्ण

अमेरिका की सोच संकीर्ण

भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर हुए समझौते से अमेरिका की बेचैनी समझी जा सकती है। अमेरिका कभी नहीं चाहता कि दुनिया का कोई भी देश ईरान के साथ किसी तरह का व्यापारिक संबंध रखे। इसलिए भारत ने सोमवार को ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन के लिए 10 साल के समझौते पर हस्ताक्षर किए तो अमेरिका ने प्रतिबंध लगाने तक की धमकी दे डाली। 

अमेरिकी चेतावनी के संदर्भ में बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर कहा कि चाबहार बंदरगाह से पूरे क्षेत्र को लाभ होगा और इसे लेकर संकीर्ण सोच नहीं रखनी चाहिए। गौरतलब है कि भारत ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों तक अपनी पहुंच आसान बनाने के लिए चाबहार पोर्ट पर एक टर्मिनल विकसित कर रहा है। 

ईरान के साथ इस समझौते को चीन द्वारा पाकिस्तान में विकसित किए जा रहे ग्वादर बंदरगाह की काट के तौर पर देखा जा रहा है। इस समझौते के माध्यम से भारत और ईरान के बीच क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा और अफगानिस्तान, मध्य एशिया, और यूरेशिया के लिए नए रास्ते खुलेंगे। 

ऐसे समय पर जब भारत हमास के खिलाफ जंग में रणनीतिक रूप से इजराइल का साथ दे रहा है और एक समझौते के तहत फिलिस्तीनियों की जगह इजराइल में भारतीय कामगारों को भेज रहा है, चाबहार समझौता अवसर है कि भारत पश्चिम एशिया में अपने रिश्तों को नए सिरे से संतुलित करे। 

चाबहार बंदरगाह दक्षिण-पूर्वी ईरान में ओमान की खाड़ी में स्थित है। यह एकमात्र ईरानी बंदरगाह है जिसकी समुद्र तक सीधी पहुंच है। अमेरिका ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर उस पर प्रतिबंध लगा दिए थे। पश्चिम एशिया संकट के दौरान ईरान और इजराइल के बीच बढ़े तनाव के मद्देनजर अमेरिका ने ईरान पर नए सिरे से आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। 

ऐसे में भारत के लिए सभी संबंधित पक्षों को विश्वास में लेते हुए ईरान के साथ एक दीर्घकालिक समझौते को अंतिम रूप देना चुनौतीपूर्ण था। अभी भारत को एक ऐसी उभरती हुई शक्ति के रूप में देखा जाता है, जो वैश्विक शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा रखता है। 

भारत के इस कदम से देश को मध्य एशिया के साथ कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। यानी भारत और ईरान के बीच चाबहार बंदरगाह की देखभाल, विकास और संचालन को लेकर हुआ समझौता न सिर्फ दोनों देशों के आपसी संबंधों के लिहाज से अहम है, बल्कि आने वाले वर्षों में इस पूरे क्षेत्र की भू-राजनीति को भी निर्णायक ढंग से प्रभावित कर सकता है।

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