बरेली से 'सुबह हुई गायब', अब रात के बाद सीधे दोपहर, हैरान कर देगी ये खबर!

बरेली से 'सुबह हुई गायब', अब रात के बाद सीधे दोपहर, हैरान कर देगी ये खबर!

बरेली, अमृत विचार। इन दिनों भीषण गर्मी ने लोगों को बेहाल कर रखा है। लू के थपेड़े झुलसा रहे हैं और तापमान पुराने रिकॉर्ड ध्वस्त कर रहा है। पिछले कुछ दिनों से पारा लगातार चढ़ रहा है। सुबह से शाम तक चलने वाली गर्म हवाएं लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी हैं। इसी कारण सड़कों पर सन्नाटा पसरा दिखाई देता है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अभी तापमान में उतार-चढ़ाव बना रहेगा और दो दिन में अधिकतम तापमान 45 डिग्री तक पहुंच सकता है। और 26 मई तक लू से भी राहत के कोई आसार नहीं हैं। जबकि आज शनिवार को न्यूनतम तापमान 29 और अधिकतम 43 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहेगा। 

देश के तमाम शहर भीषण गर्मी से झुलस रहे
लेकिन क्या आपने इस बात का एहसास किया है कि भीषण गर्मी के बीच सुबह कहीं गायब सी हो गई है। तापमान इतना है कि रात भर गर्मी से बेहाल रहने के बाद सुबह होते ही सूरज की तपिश एक बार फिर से बेहाल करने लगती है और पारा 30 डिग्री के आसपास तक पहुंच जाता है, जो अक्सर दोपहर के वक्त हुआ करता था। अगर तापमान के हिसाब से देखा जाए तो अब रात के बाद सीधे दोपहर शुरू हो जा रही है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से बनी ये स्थिति सिर्फ बरेली ही नहीं देश के तमाम शहरों में देखने को मिल रही है। जहां सुबह होते ही गर्मी अपने तेवर दिखाना शुरू कर देती है।

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सुबह से ही 30 डिग्री तक पहुंच जाता है पारा!
दरअसल, गर्मी ने अपना प्रचंड रूप अख्तियार कर रखा है। ऐसा लगता है कि इस बार गर्मी ने अपने ही सारे रिकॉर्ड तोड़ने का इरादा बना लिया है। आलम ये है कि देश की कई जगहों पर पारा 40 डिग्री से नीचे जाने का नाम ही नहीं ले रहा है। तो वहीं तमाम ऐसी जगहें ऐसी भी हैं, जहां पारा चढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में खतरनाक गर्मी से लोग त्राहिमाम करते नजर आ रहे हैं। कुछ साल पहले तक लोग दिन रात की गर्मी झेलने के बाद सुबह ठंडक का एहसास किया करते थे, लेकिन इस बार ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। सुबह 6 बजते ही पारा 30 डिग्री तक पहुंच जाता है, जो सुबह में ही दोपहर की गर्मी का एहसास करा रही है। हालांकि लोग भीषण गर्मी से राहत पाने के लिए तमाम तरह के उपाय कर रहे हैं, लेकिन वह भी नाकाफी ही साबित हो रहे हैं। 

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ग्लोबल वार्मिंग की समस्या के लिए होना होगा गंभीर
देखा जाए तो मौसम में इस बदलाव के लिए इंसान ही काफी हद तक जिम्मेदार है, क्योंकि बेतरबीत विकास के लिए लगातार पेड़ों की बलि दी जा रही है। पहले जहां घने जंगल हुआ करते थे, वहां आज दूर-दूर तक कंक्रीट के जंगल दिखाई देते हैं। जिसका सीधा असर जीव-जंतुओं पर भी पड़ रहा है और वह लगातार बेघर हो रहे है। साथ ही आबादी क्षेत्र में आकर लोगों पर हमला कर रहे हैं।

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हालांकि ऐसा नहीं है कि इन समस्याओं और ग्लोबल वार्मिंग को देश के साथ वैश्विक स्तर पर कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। लेकिन चर्चा करना और जमीनी स्तर काम करना दोनों अलग बातें हैं, जिन्हें सरकारों को समझने की जरूरत है। अगर ऐसा ही चलता ही चलता रहा तो वो दिन भी दूर नहीं जब पारा अपने रिकॉर्ड स्तर पर होगा और जीव-जन्तुओं के साथ ही मनुष्य भी भूख प्यास से तड़पकर दम तोड़ते नजर आएंगे। इसलिए आज के वक्त में इस समस्या को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास करने बेहद आवश्यक हो गए हैं।

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