जब समुद्री यात्रा करने वालों को कर दिया जाता था जाति से बाहर, कुमाऊं भी है इसका गवाह

जब समुद्री यात्रा करने वालों को कर दिया जाता था जाति से बाहर, कुमाऊं भी है इसका गवाह

देश में एक दौर ऐसा भी था जब कुछ लोग समुद्री यात्रा करना पाप मानते थे। आलम यह था कि अगर किसी व्यक्ति ने समुद्री यात्रा की तो उसे जाति से बाहर कर दिया जाता था। दरअसल इस सोच के पीछे हिंदू धर्म की आस्था और मान्यताएं थी। ऐसा कहा जाता था कि हिंदू धर्म …

देश में एक दौर ऐसा भी था जब कुछ लोग समुद्री यात्रा करना पाप मानते थे। आलम यह था कि अगर किसी व्यक्ति ने समुद्री यात्रा की तो उसे जाति से बाहर कर दिया जाता था। दरअसल इस सोच के पीछे हिंदू धर्म की आस्था और मान्यताएं थी। ऐसा कहा जाता था कि हिंदू धर्म में समुद्र को देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में देवता को लांघना पापा समझा जाता था। बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां कुमाऊं की सांस्कृतिक राजधानी अल्मोड़ा में समुद्री यात्रा करने वाले व्यक्ति को जाति से बाहर कर दिया जाता था। ऐसा सन 1900 के बाद भी चलता रहा।

महान सर्वेक्षक पंडित नैन सिंह रावत।

ऐसी ही एक घटना कुमाऊं के जाने माने कवि गौरी दत्त पांडे गौर्दा के भाई भोला दत्त पांडे के जीवन से भी जुड़ी है। जब भोला दत्त पांडे ने उच्च शिक्षा के लिए जापान की यात्रा पर गए थे तो उन्हें भी जाति से बाहर कर दिया गया। यहां तक कि भोला दत्त पांडे ने गोबर, गोमूत्र और गंगाजल से नहाया फिर भी उन्हें जाति में वापस नहीं लिया गया।

दूसरी घटना 19वीं सदी का महान घुमक्कड़-अन्वेषक-सर्वेक्षक पंडित नैन सिंह रावत से जुड़ी है। जब नैन सिंह रावत अपनी शुरुआती अन्वेषण यात्रा पर थे तो उनके काम और तुरंत सीखने की प्रतिभा से सर्वेयर वैज्ञानिक बड़े प्रभावित हुए। नैन सिंह रावत अपने भाई मानी सिंह रावत के साथ स्लागेंटवाइट भाइयों के साथ पहली अन्वेषण यात्रा पर थे। यात्रा के बाद स्लागेंटवाइट भाइयों ने नैन सिंह रावत के सामने लंदन आने का प्रस्ताव रखा। पर नैन सिंह रावत के सामने समुद्री यात्रा के बाद का कटु अनुभव आ गया, जिसके बाद उन्होंने स्लागेंटवाइट भाइयों को लंदन जाने से मना कर दिया पर अंग्रेज साहब न माने। जिसके बाद मजबूरन पंडित नैन सिंह रावत ने स्लागेंटवाइट भाइयों को एक खत लिख छोड़ा और रातों रात वहां से निकल गए।

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