चुनौतियां तमाम

चुनौतियां तमाम

वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्यों की समय-सीमा निकट आते जाने के साथ हमारे पास जलवायु संकट से लेकर समावेशन और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने का समय कम होता जा रहा है। इन समस्याओं को हल करने का एकमात्र तरीका प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हमारी क्षमता …

वर्ष 2030 के सतत विकास लक्ष्यों की समय-सीमा निकट आते जाने के साथ हमारे पास जलवायु संकट से लेकर समावेशन और सभी के लिए बेहतर स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा जैसी चुनौतियों से निपटने का समय कम होता जा रहा है। इन समस्याओं को हल करने का एकमात्र तरीका प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने की हमारी क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि करना ही हो सकता है। प्रौद्योगिकी अंगीकरण के मामले में भारत की प्रमुख पहल डिजिटल इंडिया कार्यक्रम है जो केंद्र सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम है।

केंद्र की मोदी सरकार के कार्यकाल को 8 साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच देश के डिजिटल समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में परिवर्तन से नागरिकों के जीवन को आसान बनाने में काफी सुधार आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आधिकारिक तौर पर डिजिटल इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत जुलाई 2015 में की थी। भारत के डिजिटलीकरण प्रयासों का मूल लक्ष्य सरकार और नागरिकों के बीच के फासले को कम करना रहा है।

डिजिटल इंडिया की बदौलत हम दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी संख्या में स्टार्टअप की मेजबानी करते हैं और 100 यूनिकॉर्न का दावा करते हैं। हमारे पास बेहतरीन यूपीआई में से एक है जिसने डिजिटल भुगतान को अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक लोकप्रिय बना दिया है। रीयल टाइम मोबाइल भुगतान की सुविधा में भारत की शानदार सफलता की कहानी ने दुनिया को अचंभित कर दिया है।
डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत जिन दो प्रमुख क्षेत्रों को भारी प्रोत्साहन मिला है, वे हैं स्वास्थ्य और शिक्षा। डिजिटलीकरण और इंटरनेट की पहुंच ने पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व योगदान दिया है।

हालांकि डिजिटल इंडिया की असली कामयाबी यही होगी कि हम सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में हर स्तर पर आत्मनिर्भर हों। इंटरनेट पर स्थानीय भाषा में जानकारी का उपलब्ध न होना भी डिजिटल इंडिया की राह में एक बड़ा रोड़ा है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन में डिजिटल निरक्षरता, बदतर अवसंरचना, मंद इंटरनेट गति, कनेक्टिविटी संबंधी समस्याएं, विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी, कराधान संबंधी मुद्दों जैसी कई बाधाएं मौजूद हैं। देश में डिजिटल लेनदेन तो बढ़ रहा है। लेकिन उसी तेजी से ऑनलाइन धोखाधड़ी का खतरा भी बढ़ रहा है। सरकार के पास इस समस्या से निपटने के लिए फिलहाल कोई ठोस उपाय नहीं है। फिर भी तमाम खामियों के बावजूद डिजिटल इंडिया एक महत्वपूर्ण पहल है, सशक्त तकनीकी समाधान है।

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