International Yoga Day 2022 : योग से निरोग बना रहा नन्हा योग गुरु पारस

International Yoga Day 2022 : योग से निरोग बना रहा नन्हा योग गुरु पारस

भावना, अमृत विचार। जुनून व जज्बा हो तो सफलता हासिल करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। इन लाइनों को अपने कर्म योग से चरितार्थ किया है मुरादाबाद के 11 वर्षीय पारस सैनी ने। इतनी कम उम्र में योग के प्रति क्रेजी हुए पारस योग गुरू बाबा रामदेव को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने महज …

भावना, अमृत विचार। जुनून व जज्बा हो तो सफलता हासिल करने के लिए उम्र मायने नहीं रखती। इन लाइनों को अपने कर्म योग से चरितार्थ किया है मुरादाबाद के 11 वर्षीय पारस सैनी ने। इतनी कम उम्र में योग के प्रति क्रेजी हुए पारस योग गुरू बाबा रामदेव को अपना आदर्श मानते हैं। उन्होंने महज 11 वर्ष की उम्र में ही अपना नाम योग वर्ल्ड बुक आफ रिकॉर्ड में 40 मिनट तक पूर्ण चक्रासन में दर्ज कराया है। पारस हर दिन सुबह तीन और शाम को एक घंटे यूट्यूब वीडियो देखकर योगाभ्यास करते हैं। उनकी मां बबीता सैनी उन्हें प्रशिक्षण देती हैं। पारस सैनी मझोला क्षेत्र के लाइन पार में आंबेडकर छात्रवास कॉलोनी के रहने वाले हैं।

पारस सैनी

अमृत विचार की टीम से बातचीत में पारस कहते हैं कि वह पिछले चार साल से योग कर रहे हैं। अपनी आयु वर्ग में दो बार नेशनल, चार बार स्टेट और तीन बार मुरादाबाद चैंपियन बन चुके हैं। योग करना उन्हें बहुत अच्छ लगता है। योग की शिक्षा उन्होंने मोबाइल पर बाबा रामदेव और यूट्यूब वीडियो देखकर ली है। वह बड़े होकर विश्व में देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। योग को ही करियर बनाना ही उनका सपना है। कक्षा छह के छात्र पारस सैनी ने बताया कि पढ़ाई के साथ मां उन्हें प्रतिदिन सुबह तीन और शाम को एक घंटे योगाभ्यास कराती हैं। इसके अलावा वह खुद भी यूट्यूब वीडियो देखकर योगाभ्यास करते हैं। पारस ने बताया कि 2020 में अखिल भारतीय योग महासंघ ने योग वर्ल्ड बुक आफ रिकॉर्ड से उन्हें नवाजा था। इसके साथ ही उन्होंने शलभासन में भी मेडल और सर्टिफिकेट हासिल किया हैं। अब वह मलेशिया में होने वाले एशिया कप योगाभ्यास में भाग लेंगे। इसके लिए वह पूरी सिद्दत से योगाभ्यास में जुटे हैं।

पारस सैनी व उसके माता-पिता

मां ने भी कहीं से नहीं लिया योग का प्रशिक्षण
पारस सैनी की मां बबीता सैनी साधारण गृहणी हैं। उन्होंने भी योग का कहीं से प्रशिक्षण नहीं लिया है। योग के प्रति बेटे के जुनून को देख वह खुद भी योग करती हैं और पारस को भी योगाभ्यास कराती हैं। बबीता कहती हैं कि बेटे की सफलता से वह बहुत अभिभूत हैं। वह उसके सपने को साकार करने के लिए दिन रात मेहनत करती हैं।

मां ही मेरे लिए सब कुछ
नन्हे योग गुरु पारस इस सफलता का श्रेय अपनी मां को देते हैं। उनका कहना हैं कि अगर मेरी मां मेरा साथ नहीं देती तो मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता। मेरी मां ने ही मेरे सपनों को उड़ान दी हैं। घर का काम करने के साथ ही वह मेरे लिए पूरा समय देती हैं। मेरी सभी जरूरतों का ख्याल रखती हैं। कॉस्मेटिक की दुकान चलाने वाले पिता ने भी सीमित संसाधनों के बावजूद कभी किसी चीज की कमी नहीं होने दी। माता-पिता के आशीर्वाद से ही मैं आज इस मुकाम को हासिल करने में कामयाब हो सका।

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