युद्ध में नया मोड़

युद्ध में नया मोड़

रूस-यूक्रेन युद्ध घातक मोड़ पर पहुंच चुका है। रूस के सैनिकों ने यूक्रेन में हाहाकार मचा दिया है। सोमवार को रूस ने अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। यूक्रेन के निप्रो की रिहायशी इमारत पर रूस के मिसाइल हमले में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है। रूस यूक्रेन के सभी बुनियादी ढांचों को तबाह करता जा रहा है।

इससे पहले करीब दो हफ्तों से यूक्रेन के ऊर्जा अवसंरचना व शहरी केंद्रों पर कोई हमले नहीं किए गए थे। यूक्रेन पर रूस के हमले के करीब 11माह हो चुके हैं। रूस ने जब भी अपनी युद्ध रणनीति में बदलाव किया है, यूक्रेन में तबाही मचाई है। हाल ही में जैसे ही रूस ने अपने कमांडर को बदला तो रूसी फौजों ने यूक्रेन के सबसे अहम शहर सोलेडार पर कब्जा कर लिया।

दरअसल जब भी पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को हथियार दिया है, तब-तब युद्ध की आग भड़क उठी है। इस बार ब्रिटेन ने यूक्रेन को  टैंक दिया है। जिसके बाद रूस ने हमला तेज कर दिया। रूस इस वक्त यूक्रेन पर केएच-22 मिसाइलों से अटैक कर रहा है। यूक्रेन के पास इस मिसाइल को मार गिराने की तकनीक की कमी है और मौजूदा सुरक्षा सिस्टम इस मिसाइल को सटीकता से रोक पाने में विफल है। रूस ने यह मिसाइलें शीत युद्ध के समय विकसित की थीं। यह लड़ाई युद्धक्षेत्र को आकार देने में नई टेक्नाॅलॉजी की भूमिका को सामने ले आई है। 

युद्ध ने दुनिया के सामने कई तरह की नई चुनौतियां पेश की हैं। तय है कि यूक्रेन पर रूसी हमला आने वाले वर्षों में वैश्विक राजनीति को कई तरह से प्रभावित करेगा, खासकर भारत के लिहाज से। पश्चिम और रूस के बीच चलने वाली पांरपरिक प्रतिद्वंद्विता अब अमेरिका-चीन विवाद में भी झलक रही है। चीन और रूस की धुरी इस बीच काफी मजबूत हो गई है।

उधर अमेरिका में युद्ध से लोग तंग आ रहे हैं। करीब एक तिहाई अमेरिकी अब यूक्रेन को सहायता जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं। विश्व कि युद्ध जल्द से जल्द समाप्त हो। साथ ही यूक्रेन युद्ध के मैदान से बाहर निकल कर संयुक्त राष्ट्र के मंच से रूस पर आखिरी हमला करना चाहता है ताकि दुनिया रूस के खिलाफ एकजुट होकर इसका अंतिम समाधान करने के लिए रूस के खिलाफ आगामी रणनीति बना सके। मगर इसका रूस पर कितना असर होगा, वह तो वक्त ही बताएगा।