चीन-रूस की दोस्ती

चीन-रूस की दोस्ती

आज दुनिया में बड़े स्तर पर शक्ति का ध्रुवीकरण हो रहा है। यह एक वास्तविकता है जो नए उभरते वैश्विक ढांचे को आकार दे रही है। रूस-यूक्रेन के बीच किसी तरह के शांति समझौते की गुंजाइश फिलहाल नजर नहीं आ रही है। पिछले सप्ताह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रूस दौरे की उनकी मंशा रूस और यूक्रेन के बीच शांति के प्रयासों में मध्यस्थ की भूमिका में दिखने की रही, लेकिन इससे भी बढ़कर उनका लक्ष्य चीन-रूस संबंधों को और मजबूती प्रदान करना रहा।

इसमें भारत सहित सभी देशों के लिए भविष्य की दृष्टि से चिंता के संकेत छिपे हैं। रूस और चीन के बीच मजबूत हो रहे गठबंधन से भारत की विदेश नीति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके रणनीतिक हित प्रभावित होंगे। रूस और चीन के बीच लंबे समय से एक मज़बूत रणनीतिक साझेदारी रही है, जो सोवियत संघ और पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के समय से चली आ रही है।

यह साझेदारी आपसी हितों पर आधारित है, जिसमें आर्थिक एवं राजनीतिक सहयोग के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एक साझा दृष्टिकोण शामिल है। कुछ उतार-चढ़ाव के बावजूद, रूस और चीन के बीच मज़बूत संबंध बने रहे हैं, जहां दोनों देश कई तरह की परियोजनाओं एवं पहलों पर एक साथ कार्य कर रहे हैं।

रूस और चीन के गठबंधन ने विश्व में अमेरिका के प्रभुत्व की समाप्ति के बजाय अमेरिका और पश्चिमी देशों को अमेरिका के नेतृत्व में और अधिक एकजुट होने का एक कारण प्रदान किया है। यूक्रेन पर आक्रमण ने अमेरिका को रूस और चीन दोनों पर दबाव बनाने का अवसर दिया है। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण ने यूरोप में अमेरिका को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को प्रेरित करने और विस्तारित करने में मदद की है।

रूसी आक्रमण ने एशिया में चीनी क्षेत्रीय विस्तारवाद के भय को भी जन्म दिया है। इससे ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ अमेरिका के द्विपक्षीय गठजोड़ मज़बूत हुए हैं। चीन और रूस के बीच गठबंधन क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदल सकता है। यह भारत के प्रभाव को सीमित कर सकता है तथा क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ा सकता है।

फिर भी भारत की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हम एक मात्र ऐसे देश है जिससे रुस और यूक्रेन दोनों बात कर रहे हैं। रूस-चीन गठबंधन के परिणामस्वरूप भारत को एक अधिक जटिल राजनयिक परिदृश्य में अपनी राह खोजनी पड़ सकती है, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर, जहां चीन और रूस महत्वपूर्ण प्रभाव रखते हैं।