'भारत-अमेरिका के बीच एक प्रमुख रक्षा सहयोग पर काम जारी'
वाशिंगटन। दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के लिए अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि भारत को अत्याधुनिक आधुनिक रक्षा उपकरण बनाने में सक्षम बनाने के लिए भारत-अमेरिका के बीच एक प्रमुख द्विपक्षीय रक्षा सहयोग पर काम चल रहा है और उम्मीद है कि अगले कुछ महीने में इस संबंध में घोषणा की जाएगी।
दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने दिए एक साक्षात्कार में कहा, मुझे लगता है कि यह भारत के लिए अपनी जरूरतों के वास्ते विश्व स्तरीय रक्षा उपकरण का उत्पादन करने और दुनिया का एक निर्यातक बनने के मकसद के लिए बेहद सही है। हालांकि, विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने भारत में आधुनिक और परिष्कृत रक्षा उपकरणों के निर्माण के लिए प्रमुख रक्षा सहयोग के बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा, हम पहले से ही रक्षा क्षेत्र में प्रमुख भागीदार हैं। पिछले 20 वर्षों में हमारा 20 अरब डॉलर से अधिक का रक्षा व्यापार हुआ है। मैं जानता हूं कि हमारी निजी कंपनियां और हमारी सरकारें, हमारे रक्षा मंत्रालय लगातार संपर्क में हैं और इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि हम कैसे सहयोग बढ़ा सकते हैं।
लू हालांकि रक्षा सहयोग के संबंध में कोई ब्योरा देने से बचते नजर आए। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि मैं इस पर इतनी ही जानकारी दे सकता हूं। हालांकि यह रोमांचक होगा और मुझे उम्मीद है कि साल के अंत तक हम उन विशिष्ट रक्षा सहयोग मदों के बारे में अधिक विस्तृत तरीके से चर्चा करेंगे।
भारतीय दूतावास के एक तथ्य पत्र के अनुसार, सहयोग भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग के लिए नई रूपरेखा पर आधारित है, जिसे 2015 में 10 वर्ष के लिए नवीनीकृत किया गया था। लू ने रूस और यूक्रेन युद्ध के भारत-अमेरिका संबंधों पर असर को लेकर कहा कि युद्ध ने इसे तोड़ने के बजाय भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि रूस के साथ अपने पुराने संबंधों के कारण भारत रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से युद्ध समाप्त करने का आग्रह करने की अनूठी स्थिति में हैं।
ये भी पढ़ें:- चीन के विदेश मंत्री छिन कांग ने ताइवान को दी धमकी, कहा- 'आग से खेल रहे हैं'
