हल्द्वानी: 'तमगा' सबसे बड़े अस्पताल का, हालत पीएचसी से 'बदत्तर'

सुशीला तिवारी अस्पताल में विटामिन और हार्मोंस तक की जांच की नहीं है सुविधा

हल्द्वानी: 'तमगा' सबसे बड़े अस्पताल का, हालत पीएचसी से 'बदत्तर'

मरीज प्राइवेट लैब में जेब ढीली करने को हो रहे हैं मजबूर

हल्द्वानी, अमृत विचार। एसटीएच...कुमाऊं का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल। दावा यह है कि कुमाऊं में कोई निजी अस्पताल भी इतना बड़ा नहीं है यह दावा हकीकत भी है। मगर इस सबसे बड़े अस्पताल में इलाज, जांच की स्थिति पीएचसी और सीएचसी से भी बदतर है। सबसे बड़े अस्पताल में विटामिन और हार्मोंस की जांच की सुविधा नहीं है, जबकि पीएचसी-सीएचसी में निजी लैब के जरिए यह जांच कराने की व्यवस्था है। नतीजा सबसे बड़े अस्पताल के मरीज जेब ढीली करने को मजबूर हैं।

राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन सुशीला तिवारी अस्पताल में उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में मरीज इलाज कराने आते हैं। यहां एक दिन में करीब 1500 से 1800 ओपीडी होती है। ओपीडी में आने वाले ज्यादातर मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें विटामिन और हार्मोंस की कमी की शिकायतें होती हैं।

चिकित्सक मरीजों को जांच कराने सलाह देते हैं, लेकिन अस्पताल की बायोकेमिस्ट्री लैब में विटामिन और हार्मोंस की जांच होती ही नहीं है। हार्मोंस में केवल थायराइड की जांच होती है। जबकि विटामिन की एक भी जांच नहीं होती है। शुरूआत से लेकर आज तक विटामिन और हार्मोंस की जांच शुरू न होने से बायोकेमिस्ट्री विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ये स्थिति तब है जब लैब में मशीन और पर्याप्त स्टाफ है। इसके बावजूद मरीजों को बाहर प्राइवेट लैब में महंगे में जांच करानी पड़ रही है।

 
पीएचसी-सीएचसी में है इन जांचों की सुविधा

जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में स्थित स्वास्थ्य विभाग के पीएचसी और सीएचसी सेंटरों की हालत सुशीला तिवारी अस्पताल से कहीं बेहतर है। कुमाऊं का सबसे बड़ा अस्पताल होते हुए सुशीला तिवारी में जहां विटामिन और हार्मोंस की जांच नहीं होती है। जबकि पीएचसी और सीएचसी सेंटरों में यह जांचें आसानी से होती है। इसके लिए सरकार ने एक प्राइवेट लैब को ठेका दिया है।

वार्डों में सक्रिय हैं प्राइवेट लैब के एजेंट

सुशीला तिवारी अस्पताल में कई तरह की जांच नहीं होती हैं, जिसका फायदा प्राइवेट लैब संचालक उठा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक लैब में काम करने वाले एजेंट दिनभर एसटीएच के वार्डों में घूमते रहते हैं। अगर किसी मरीज की जांच अस्पताल में नहीं होती है तो एजेंट वार्ड से मरीज का सैंपल लेकर लैब भेज देते हैं। इसके एवज में मरीज को महंगे दाम चुकाने पड़ते हैं।

जांचें होती नहीं...क्या सीखेंगे बच्चे

राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में वर्ष 2011 से पीजी कोर्स चल रहा है। लेकिन बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी लैबों में जांचें न होने से बच्चों को पढ़ने और सीखने में दिक्कत आ रही है। अस्पताल में वर्ष 2004 के समय जो जांचें शुरू हुई थी, आज भी वही जांच हो रही हैं।


कई बार प्रस्ताव देने को कहा, लेकिन अभी तक प्रस्ताव नहीं मिला है। एचओडी की ओर से प्रस्ताव आते ही तुरंत जांचें शुरू कर दी जाएंगी। मरीजों को सुविधा का लाभ मिले, पूरे प्रयास किए जाएंगे।
-डॉ. अरुण जोशी, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी


विटामिन और हार्मोंस की जांच न होना जानकारी में नहीं है। जांच क्यों नहीं हो रही है, एचओडी से इसकी जानकारी ली जाएगा। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
-डॉ. जीएस तितियाल, एमएस, सुशीला तिवारी अस्पताल