संसद भवन के उद्घाटन में राष्ट्रपति की अनुपस्थिति ‘गणतंत्र के लोकाचार के अवमूल्यन’ के समान: सिब्बल

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Published By Moazzam Beg
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नई दिल्ली। संसद के नए भवन के उद्घाटन को लेकर विवाद बढ़ने के बीच राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति की अनुपस्थिति ‘हमारे गणतंत्र के लोकाचार के अवमूल्यन’ के बराबर होगी। सिब्बल की यह टिप्पणी तब आयी है जब एक दिन पहले करीब 20 विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मोदी द्वारा संसद के नए भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के फैसले की घोषणा की।

 सिब्बल ने ट्वीट किया, संसद के नए भवन का उद्घाटन। संसद हमारे गणतंत्र का प्रतीक है। राष्ट्रपति गणतंत्र के प्रमुख हैं। इस रस्मी कार्यक्रम में राष्ट्रपति की अनुपस्थिति हमारे गणतंत्र के लोकाचार के अवमूल्यन के बराबर है। क्या सरकार को इसकी परवाह है? संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के पहले और दूसरे कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे सिब्बल ने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी के सहयोग से निर्दलीय सदस्य के रूप में राज्यसभा में निर्वाचित हुए थे। 

कांग्रेस, वाम दल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी समेत 19 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की और आरोप लगाया कि केंद्र की मौजूदा सरकार के तहत संसद से लोकतंत्र की आत्मा को ही निकाल दिया गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि संसद के नए भवन का उद्घाटन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को करना चाहिए और अगर ऐसा नहीं होता है तो उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। 

विपक्षी दलों द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने उनकी निंदा की और उसके इस कदम को भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार और संवैधानिक मूल्यों का घोर अपमान करार दिया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे। 

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