विजय दिवस की 54वीं वर्षगांठ: राज्यसभा में गूंजा 1971 की ऐतिहासिक जीत का गौरव, भारतीय सशस्त्र बलों की हुई सराहना
नई दिल्ली। राज्यसभा में मंगलवार को ‘विजय दिवस’ की 54वीं वर्षगांठ पर भारतीय सशस्त्र बलों के शौर्य एवं वीरता की सराहना की गयी और कहा गया कि इसी विजय के कारण क्षेत्र का भू-राजनीतिक परिदृश्य परिवर्तित हो गया था। उच्च सदन की बैठक शुरू होते ही सभापति सी. पी. राधाकृष्ण ने 16 दिसंबर 1971 के दिन भारतीय सशस्त्र बलों को पाकिस्तानी सेना पर मिली विजय का उल्लेख करते हुए कहा कि इसी विजय के कारण बांग्लादेश का निर्माण संभव हो पाया और इसने इस क्षेत्र का भू-राजनीतिक परिदृश्य परिवर्तित कर दिया। उन्होंने कहा कि इस विजय ने न्याय, मानव गरिमा एवं स्वतंत्रता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को फिर से साबित किया।
उन्होंने इस विजय के लिए भारतीय सशस्त्र बलों के शौर्य और गरिमा की प्रशंसा की। सदन में उपस्थित सदस्यों ने मेजें थपथपा कर भारतीय सशस्त्र बलों की सराहना की। ‘विजय दिवस’ हर वर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है। यह 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है जिसका समापन पाकिस्तान की सेना के आत्मसमर्पण के साथ हुआ था। जनरल ए ए खान नियाजी के नेतृत्व में लगभग 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने हथियार डाल दिए थे। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़े आत्मसमर्पण में से एक था।
