Kanpur News : हैकरों ने ठगी करने के लिए बिछाया कार्डिंग का जाल, कार्ड की ले रहे जानकारी, इस तरह से बचे

कानपुर में हैकरों ने ठगी करने के लिए कार्डिंग का जाल बिछाया।

Kanpur News : हैकरों ने ठगी करने के लिए बिछाया कार्डिंग का जाल, कार्ड की ले रहे जानकारी, इस तरह से बचे

कानपुर में हैकरों ने ठगी करने के लिए कार्डिंग का जाल बिछाया। बिना पिन और ओटीपी के खाते से पैसा निकाल सकते है। बिना सामने आए कार्डिंग के जरिए कार्ड की जानकारी हासिल कर रहे है।

कानपुर, [कुशाग्र पांडेय]। अगर आप भुगतान करने के लिए ज्यादातर डेबिट या क्रेडिट कार्ड का प्रयोग करते है तो आप सतर्क हो जाएं। क्योंकि हैकरों ने आनलाइन ठगी करने के लिए कार्डिंग का जाल बिछा दिया है। अब हैकर कार्डिंग के जरिए घर बैठे आपके कार्ड की जानकारी हासिल कर ठगी कर सकते है।

इसके लिए उन्होंने कमशीन पर ऐसे लोगों को रख लिया है जो छोटी से लेकर बड़ी दुकान से लेकर मॉल में काम करते है। वे आपकी जरा सी लापरवाही पर आपके कार्ड की सारी जानकारी हासिल कर लेते है और कुछ ही देर बाद खाते से आपकी जमापूंजी उड़ जाती है। आइए आपको बताते है कि आखिर हैकरों ने किस तरह से कार्डिंग का जाल बिछाया और आप इससे कैसे बच सकते है। 

बिना ओटीपी और पिन नंबर के निकल गए पैसे

स्वरूप नगर निवासी व्यापारी दिनेश शुक्ला की पत्नी लक्ष्मी देवी परिवार के साथ रेस्टोरेंट में लंच करने गई थी। उन्होंने लंच करने के बाद कार्ड के जरिए पैसा दिया था। अगले दिन उनके खाते से 75 हजार रुपये पार हो गए। जब उन्होंने थाने में शिकायत की तो पता चला कि उनके कार्ड नंबर से स्पैन में खरीददारी की गई है। जिसे सुनकर उनके होश उड़ गए और पुलिस भी हैरान थी। साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि विदेश में कार्ड के पिन और ओटीपी नंबर की जरूरत नहीं होती है। वहां पर कार्ड नंबर और एक्सपाइरी डेट से आनलाइन शॉपिंग हो जाती है। अभी भारत में यह नहीं है। रक्षित टंडन के मुताबिक कार्डिंग ग्रुप के जरिए किसी ने कार्ड की जानकारी विदेश में बैठे हैकर के पास पहुंचाई है। 

क्या है कार्डिंग 

हैकर से पैसे लेकर डेबिट, क्रेडिट कार्ड और एटीएम कार्ड की जानकारी देने को कार्डिंग कहा जाता है। अब हैकरों ने कार्डिंग करने के लिए वाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल प्लेटफार्म में ग्रुप बना लिया है। इसमें उनको कार्ड की जानकारी मिलती है। कार्ड की जानकारी उपलब्ध कराने पर 10 से 15 प्रतिशत का कमीशन दिया जाता है। घर खाते में ज्यादा पैसे है तो हैकर कमीशन बढ़ा देते है। 

ये लोग हैकर ग्रुप से जुड़े है

हैकर पहले बैंक से खाता धारकों की जानकारी जुटाते थे। इसके लिए वे बैंक कर्मियों को लालच देकर अपने साथ जोड़ लेते थे, लेकिन हैकरों को कार्डिंग से आसानी से जानकारी उपलब्ध हो जाती है। हैकरों ने बैंक कर्मियों के अलावा उन लोगों का ग्रुप बनाया है जो किसी न किसी जगह पर काम करते है। मसलन रेस्टोरेंट, पंप, ज्वैलरी शॉप आदि जगह पर काम करते है। इसमें से ज्यादातर उन लोगों को हैकर चुनते है जो कैश काउंटर में खड़े होते है या जो पैसे का लेनदेन करता हो। 

इस तरह से कार्ड की जानकारी जुटाते है

हैकर ग्रुप में जुड़े लोगों का काम एटीएम समेत अन्य कार्ड की जानकारी जुटाना होता है। इसके लिए हैकर ग्रुप में जुड़े लोग जब किसी ग्राहक से स्वैप कराने के लिए उसका कार्ड लेते थे तो ग्राहक से नजर बचाकर कार्ड की सारी जानकारी नोट करते थे। इसमें उनको ज्यादा समय लगता था और पकड़े जाने का भी डर रहता था। जिसे देख अब कार्डिंग से जुड़े लोगों ने नया तरीका निकाला है। अब हर जगह सीसीटीवी कैमरे लगे है। जिसका सीधा फायदा कार्डिंग से जुड़े लोग उठा रहे है। वे ग्राहक से कार्ड लेकर नजर बचाकर उसे सीसीटीवी कैमरे के सामने ले जाते है। सीसीटीवी कैमरे उसकी फुटेज आ जाती है और बाद में वो फुटेज से कार्ड की सारी जानकारी जुटाकर उसे हैकर को पहुंचा देते है। 

इस वजह से पकड़ में नहीं आते है हैकर

कार्डिंग करने वाले हैकर ग्रुपों को पकड़ना आसान नहीं है। हैकरों ने खुद को पुलिस से बचाने के लिए कार्डिंग शुरू की है। अब वे खुद कार्ड की जानकारी हासिल नहीं करते है। हैकर किसी दूसरे देश में बैठे अपने गुर्गे के नंबर से ग्रुप बनवाते है। जब ग्रुप का कोई सदस्य जानकारी देता है तो हैकर का गुर्गा दूसरे नंबर से उसको जानकारी देता है। इस तरह से ग्रुप में जुड़ा कोई भी सदस्य को हैकर के बारे में कुछ पता नहीं चल पाता है। पुलिस अगर कार्डिंग करने वाले किसी शातिर को पकड़ भी लेती है तो पुलिस को उससे सिर्फ विदेश में बैठे नंबर की ही जानकारी मिल पाती है। इस तरह पुलिस को आगे की कड़ी नहीं मिलती है और हैकर का पता नहीं चल पता है। 

लुधियाना और उत्तराखंड में पकड़ा जा चुका है गैंग

साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन ने बताया कि अब हैकर कार्डिंग के जरिए ही कार्ड की जानकारी  हासिल कर ठगी कर रहे है। इसका खुलासा लुधियाना और उत्तराखंड में पकड़े गए हैकरों के गैंग से हुआ है। पुलिस पूछताछ में हैकरों ने बताया कि उनका नेटवर्क विदेश तक फैल चुका है। जब कोई कार्ड से वे लोग पैसे नहीं निकाल पाते है तो वे कमीशन लेकर उस कार्ड की जानकारी विदेश में बैठे हैकर को दे देते है। अब यह यूपी के हैकर भी कर रहे है। 

टू स्टेप सिक्योरिटी सिस्टम से बच सकते है

साइबर एक्सपर्ट रक्षित टंडन के मुताबिक कार्ड धारक टू स्टेप सिक्योरिटी सिस्टम के जरिए आनलाइन ठगी से बच सकते है। ज्यादातर बैंक ने टू स्टेप सिक्योरिटी सिस्टम लागू कर दिया है। अभी हैकर सीवीवी नंबर या ओटीपी जानकारी हासिल कर ठगी करते है। टू स्टेप सिक्योरिटी सिस्टम में सीवीवी नंबर और ओटीपी दोनों की आवश्यकता होती है। इसका तोड़ अभी हैकरों के पास नहीं है। 

हरे रंग का यूआरएल दिखे तो करें भुगतान

हैकरों ने खातों की जानकारी जुटाने के लिए इंटरनेट पर फर्जी वेबसाइट बना रखी है। अगर किसी आनलाइन साइट पर कार्ड के जरिए भुगतान कर रहे तो आप सबसे पहले उसका यूआरएल देखिए। अगर यूआरएल हरे (ग्रीन) रंग का दिखाई दे तभी आप भुगतान करिए। वरना आप आन लाइन ठगी का शिकार हो सकते है। 

इस तरह से बच सकते है

- कार्ड का उपयोग कम करें, डिजिटल भुगतान करें।
- अपने कार्ड की किसी भी व्यक्ति को जानकारी न दे और कभी किसी को कार्ड का पिन और सीवीवी नंबर न बताए। 
- अगर आपको घर पर किसी को कार्ड की जानकारी देनी है तो आप फोन करके जानकारी दे। मैसेज के जरिए जानकारी न दे।
- अगर आपको एटीएम या अन्य कार्ड से भुगतान करना है तो आप ध्यान रखे कि वो आपका नंबर तो नहीं देख रहा। वो मोबाइल और सीसीटीवी कैमरे के जरिए कार्ड की फोटो ले सकता है। इसलिए आपको कार्ड वापस लेने तक उस पर नजर बनाए रखना चाहिए
- कभी कार्ड की फोटो न ले। इससे फोटो सोशल मीडिया में अपलोड होने का खतरा रहता है। 
- कार्ड के सीवीवी नंबर को स्केच से मिटा दे। यह नंबर सबसे महत्यपूर्ण होता है।

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