प्रयागराज : मांस रखना अपराध नहीं, जब तक यह सिद्ध ना हो कि बरामद पदार्थ बीफ था

प्रयागराज : मांस रखना अपराध नहीं, जब तक यह सिद्ध ना हो कि बरामद पदार्थ बीफ था

अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश गौ हत्या रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में आरोपी को जमानत देते हुए कहा कि केवल मांस रखना अपराध नहीं है, जब तक इस बात की पुष्टि ना हो कि बरामद किया गया मांस बीफ या बीफ प्रोडक्ट था। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की एकलपीठ ने आरोपी इब्रान उर्फ शेरू को यूपी गोहत्या रोकथाम अधिनियम, 1955 के तहत दर्ज मामले की सुनवाई में सशर्त जमानत देते हुए पारित किया।

उपरोक्त मामले में कोर्ट का कहना है कि केवल मांस रखने या ले जाने को बीफ या बीफ प्रोडक्ट की बिक्री और परिवहन नहीं माना जा सकता है। मालूम हो कि आरोपी को इस साल मार्च में 30.5 किलोग्राम मांस की कथित बरामदगी के मामले में गिरफ्तार किया गया था तथा उसके खिलाफ पीलीभीत के पुरानपुर थाने में इसी साल प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। निचली अदालत ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था। इसके बाद याची ने हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए गुहार लगाई थी। आरोपी के अधिवक्ता का तर्क था कि याची एक पेंटर है और जब छापा मारा गया, तब वह घर में पेंटिंग का काम कर रहा था। इसके अलावा याची को कथित बरामदगी से जोड़ने वाला कोई अन्य सबूत भी नहीं मिलता है। उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। कोर्ट ने सबूतों को देखते हुए कहा कि बीफ बरामदगी का कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। मामले में सीआरपीसी की धारा 100 के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन भी नहीं किया गया था। अतः प्रथम दृष्टया याची यूपी गौ हत्या अधिनियम के तहत दोषी नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी पाया कि ऐसा नहीं है कि आरोपी ने जांच में सहयोग नहीं किया या जमानत पर रिहा होने पर वह सबूतों तथा गवाहों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है। अंत में आरोपी को सशर्त जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है, जिससे यह सिद्ध होता हो कि आरोपी ने गाय या बैल का वध किया था या वध करने का कारण बना था।

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