प्रतापगढ़: .. इस थाने में शुभंकर है मुर्गी-मुर्गा, अतिथि की तरह होती है खातिरदारी

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Published By Deepak Mishra
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प्रतापगढ़। आधुनिकता के इस दौर में किवदंती, मिथक पर लोग यकीन करें या ना करें, लेकिन बाघराय थाने की पुलिस करती है। थाने में मुर्गी-मुर्गा की जोड़ी शुभंकर के तौर पर पाली जाती है। बकायदा इसका ख्याल भी रखा जाता है। प्रायः थानों में कई मिथक देखे गए हैं .. जैसे नव वर्ष के आगमन पर पुलिस कोई केस दर्ज नहीं करती।

ऐसे ही प्रतापगढ़ के बाघराय थाना परिसर में मुर्गा और मुर्गी की जोड़ी को खास महत्व व स्थान मिला हुआ है। जो क्षेत्र में चर्चा का विषय है। बाघराय थाना परिसर में हर समय मुर्गा और मुर्गी की जोड़ी थानाध्यक्ष की कुर्सी, कार्यालय में और परिसर में घूमते देखी जा सकती है। पहले तो लोगों का इस पर ध्यान नहीं जाता था, लेकिन जब लगातार कई वर्षों से ऐसा ही देखा गया तो लोग इसका कारण जानने की उत्सुकता बढ़ी।

फिर पता चला कि मुर्गा और मुर्गी की इस जोड़ी को यहां शुभंकर के तौर पर माना जाता है। वर्ष 1999 में थानाध्यक्ष रहे गिरवर गिरि ने मुर्गा और मुर्गी को यहां पर पाला था। उनकी बांग से पुलिसकर्मी भोर में उठकर परेड में जाते थे। बरगद के पेड़ के नीचे उनका ठिकाना बनाया गया था। तब से यहां पर मुर्गा-मुर्गी की जोड़ी है। अगर दोनों में से किसी एक या दोनों की मौत हो जाने पर नई जोड़ी 24 घंटे के अंदर जरूर ला दी जाती है।

पुलिसकर्मियों का ऐसा मानना है कि अगर यह जोड़ी सलामत नहीं रही तो थाना क्षेत्र में अपराध की घटनाएं हो जाती हैं। यहां तक कि थानाध्यक्ष की कुर्सी भी हिल सकती है। खास बात यह भी है कि मुर्गा-मुर्गी को नाश्ता और खाना पुलिसकर्मियों के मेस से दिया जाता है।

उनका पूरा ध्यान रखा जाता है। कोई जानवर उनको क्षति न पहुंचाए इसका भी ध्यान रखा जाता है। वर्तमान थानाध्यक्ष टीएन पांडेय का कहना है कि मुर्गी-मुर्गा यहां होने को लेकर कई बातें सुनने को मिलती हैं। मैं भी यहां आने पर यह देखा तो यह सोंच कर नहीं हटाया कि जो परंपरा चल रही है, चलती रहे। नुकसान ही क्या है।

लालगंज कोतवाली का मोर भी चर्चित
लालगंज कोेतवाली परिसर में प्रतिदिन सुबह बगल के जंगल से एक मोर आ जाता है। जब पुलिसकर्मी  योग करते हैं तो वह भी मौजूद रहता है और नाचता भी है। इसके बाद जंगल लौट जाता है। नाचते हुए कई बार मोर की फोटो व वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई।

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