प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि की सर्वे की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित

प्रयागराज: श्रीकृष्ण जन्मभूमि की सर्वे की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला किया सुरक्षित

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट में मथुरा स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह परिसर की सर्वे की मांग वाली याचिका पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। एडवोकेट कमिश्नर की मांग वाली याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई। वर्तमान मामला न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की एकल पीठ के समक्ष हुई।

मंदिर पक्ष की ओर से दलील दी गई की मस्जिद के नीचे कई ऐसे प्रतीक है जो हिंदुओं की भावनाओं से जुड़े हुए हैं और मुस्लिम पक्ष शाही ईदगाह में मौजूद हिंदू स्थापत्य कला के सबूत को मिटा रहा है। लिहाजा जल्द विवादित स्थल का सर्वे करना जरूरी है।

वहीं दूसरी तरफ मस्जिद पक्ष की ओर से इसका विरोध किया गया। मालूम हो कि मथुरा विवाद से जुड़ी सभी 16 याचिकाओं पर हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई हुई। मथुरा जिला न्यायालय से ट्रांसफर हुई सभी याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट में लगभग तीन घंटे तक सुनवाई चली।

भगवान श्री कृष्ण विराजमान की ओर से सीपीसी के आदेश 26 नियम 9 और 10 के साथ धारा 151 के तहत मुकदमे में विवादित संपत्ति का निरीक्षण करने के लिए एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति के लिए अर्जी दाखिल की गई है। याचिका पर सुनवाई के दौरान याची के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि ऐसे कई संकेत हैं जो सिद्ध करते हैं कि विचाराधीन इमारत एक हिंदू मंदिर है।

कलश, शिखर जैसे कुछ उदाहरण हैं जो हिंदू वास्तुकला शैली का उदाहरण देते हैं। इसमें कमल के आकार का शीर्ष स्तंभ है जो हिंदू मंदिरों की उत्कृष्ट विशेषता है और हिंदू देवताओं में से एक शेषनाग की छवि है, जिन्होंने जन्म की रात भगवान कृष्ण की रक्षा की थी। वर्तमान संरचना में स्तंभ के आधार पर हिंदू धार्मिक प्रतीक और नक्काशी दिखाई देती है।

अर्जी में एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे कराए जाने की मांग की गई है। इसके अलावा अधिवक्ता द्वारा विवादित स्थल की पूरी कार्रवाई की तस्वीर खींचे जाने की, वीडियोग्राफी की और अन्तिम रिपोर्ट कोर्ट में सौंपने तथा इस कार्य में जिला प्रशासन को आयोग की कार्रवाई के दौरान पुलिस सुरक्षा प्रदान करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने का भी निर्देश देने की मांग की है।

अधिवक्ता ने कुछ कानूनी घोषणाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि कोर्ट मुकदमे के किसी भी चरण में कमीशन जारी कर सकती है, जैसा कि सीपीसी के आदेश 26 नियम 1 के तहत प्रदान किया गया है। वहीं दूसरी तरफ विपक्षी की ओर से उपस्थित अधिवक्ताओं ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्तमान आवेदन 3 नवंबर 2023 को रजिस्ट्री में दायर किया गया है और वे कोर्ट के समक्ष पहली बार उपस्थित हो रहे हैं।

इसके पहले उक्त याचिका के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट को यह भी बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में इसी मामले को लेकर एक एसएलपी लंबित है, जिसकी सुनवाई 10 नवंबर 2023 को होगी।

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