Bareilly News: गुप्तकालीन 'गर्भवती महिला' की मूर्ति है खास, मानवीय संवेदनाएं समेटे है खुद में

Bareilly News: गुप्तकालीन 'गर्भवती महिला' की मूर्ति है खास, मानवीय संवेदनाएं समेटे है खुद में

प्रीति कोहली, बरेली, अमृत विचार। अक्सर आपने महिला, पुरुष, भगवान, जानवर, बच्चों की कई मूर्तियां देखी होंगी। जिनमें सुंदरता के साथ कई अन्य चीजें भी देखने को मिल जाती हैं। लेकिन आज हम आपको गर्भवती महिला की मूर्ति के बारे में बताने जा रहे हैं। गुप्तकाल की यह मूर्ति बेहद अनमोल और अद्भुत होने के साथ ही दुर्लभ भी है। 

दरअसल, यह मूर्ति महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और संस्कृति विभाग में पांचाल संग्रहालय की मृण्मूर्ति कला वीथिका के शोकेस में सुरक्षित है। जिसे देखने के लिए तमाम इतिहास प्रेमी यहां पहुंचते हैं।

मूकुत

इस मूर्ति के बारे में पांचाल संग्रहालय के रिसर्च एसोसिएट डॉ. हेमंत शुक्ला बताते हैं कि ये फलक पर अंकित गर्भिणी का आवक्ष अधोभाग टेराकोटा गुप्तकाल की एक मूर्ति है। जिससे आप सोचिए कि देशकाल और वातावरण की परिस्थिति का मूर्ति कला पर कैसे प्रभाव पड़ता है। 

जब किसी भी ललित कला, मूर्ति कला या चित्र कला का बिल्कुल एक उत्कर्ष और क्लाइमैक्स होता है तो उसमें मानवीय संवेदनाएं और मनुष्य की भावनात्मक जो एक दृष्टिकोण होता है वह भी इसमें परिलक्षित होने लगता है। अब आप इस मूर्ति को आप ध्यान से देखेगें तो समझ पाएंगे कि एक गर्ववती महिला रही होगी। तो उसको भी मूर्ति कला में बड़ी ही सुंदरता और बारीकी के साथ दर्शाया गया है। 

रिसर्च एसोसिएट डॉ. हेमंत शुक्ला ने आगे बताया कि गुप्तकाल में मानवीय संवेदनाएं कितने मूल्यों के साथ समाज में परिलक्षित होती होंगी, फलक पर अंकित गर्भिणी का आवक्ष अधोभाग यह दिखाता है। आगे बताया कि गुप्तकाल में मूर्तिकाल अपने समय में अपने क्लाइमैक्स पर थी, उसके अंदर सुंरदरता और सम्पुट का फिनीशिंग था। जिसको यह मूर्ति परिलक्षित करती है। जो निस्संदेह अद्भुत और विलक्षण है।

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