Exclusive: हार्निया ऑपरेशन की नई तकनीक सबसे पहले हैलट अस्पताल में...डिवाइड की मदद से होगा आसान ऑपरेशन, पढ़ें- पूरी खबर

कानपुर में हार्निया ऑपरेशन की नई तकनीक सबसे पहले हैलट अस्पताल में

Exclusive: हार्निया ऑपरेशन की नई तकनीक सबसे पहले हैलट अस्पताल में...डिवाइड की मदद से होगा आसान ऑपरेशन, पढ़ें- पूरी खबर

कानपुर, (विकास कुमार)। हैलट अस्पताल में अब फासिओटेंस एब्डोमेन डिवाइस तकनीक से हार्निया के ऑपरेशन किए जाएंगे। इन तकनीक का लाभ उन मरीजों को सबसे अधिक मिलेगा, जिनके हार्निया काफी बड़े हो जाते हैं। डिवाइस की मदद से हार्निया का ऑपरेशन करना आसान होगा।
उत्तर प्रदेश के किसी भी जिले में अभी तक फासिओटेंस एब्डोमेन डिवाइस की सुविधा नहीं है।

मेडिकल कॉलेज में बड़े हार्निया की ओपन सर्जरी या लेप्रोस्कोप विधि से सर्जरी की जाती है। नई तकनीक की मदद से एब्डोमेन के सिकुड़े वॉल को चिपकाना काफी आसान होता है। सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.जीडी यादव ने बताया कि बड़े हार्निया का ऑपरेशन कर उनकी वॉल को आपस में चिपकाना काफी कठिन होता है। क्योंकि कुछ हिस्सा सिकुड़कर पीछे की ओर चला जाता है। ऐसे में यह डिवाइस काफी सहायक होगी। 

विदेशी डॉक्टर देंगे प्रशिक्षण 

विभागाध्यक्ष डॉ. जीडी यादव ने बताया कि 13 व 14 अप्रैल को हैलट अस्पताल में फासिओटेंस एब्डोमेन वॉल रिपेयर के संबंध में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है, जिनमें यूएस व अन्य विदेशी डॉक्टर शामिल होंगे। विदेश से आकर डॉक्टर फासिओटेंस एब्डोमेन डिवाइस की जानकारी देंगे और मरीजों का ऑपरेशन डिवाइस की मदद से करना मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को सिखाएंगे।

किसी को भी होती यह बीमारी 

विभागाध्यक्ष डॉ.जीडी यादव ने बताया कि हर्निया एक ऐसी बीमारी है, जो बच्चों से लेकर वृद्ध किसी को भी हो सकती है। ज्यादा वजन के मोटे व वयस्क लोगों में यह बीमारी ज्यादा पाई जाती है। इसका इलाज ऑपरेशन से ही संभव है। कुछ वर्ष पहले तक पेट में लंबा चीरा लगाकर हर्निया का ऑपरेशन किया जाता था। अब लेप्रोस्कोपिक से छोटा सा चीरा लगाकर ऑपरेशन किया जाता है।  

इस वजह से होती दिक्कत

हार्निया की समस्या तब होती है, जब पेट के अंदर से कोई अंग या मांसपेशी या ऊतक किसी छेद के जरिए बाहर आने लगता है। उदाहरण के लिए बहुत बार आंत, पेट की कमजोर दीवार में छेद करके बाहर आ जाती है। पेट में हार्निया होना आम बात है, लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, पेट के बीच और ग्रोइन क्षेत्रों (पेट और जांघ के बीच के भाग) में भी हो सकता है। मांसपेशियों की कमजोरी हार्निया की मुख्य वजह है। 

कारण 

चोट लगना, गर्भावस्था, मोटापा, उम्र बढ़ना, ज्यादा वजन उठाना, लंबे समय तक खांसी आना, पेट में तरल पदार्थ जमा हो जाना, ज्यादा वजन उठाकर व्यायाम करना, पालीसिस्टिक ओवरी डिजीज, जन्म के दौरान शिशु का वजन कम होना, धूम्रपान, सर्जरी के दौरान जटिलता, कब्ज व लगातार छींक आना या आनुवंशिक कारणों से यह बीमारी होती है।

हार्निया के लक्षण 

पुरुषों में दर्द सहित या दर्द रहित हार्निया प्रभावित हिस्से का उभरना, मल-मूत्र त्याग में समस्या, कमर व शरीर के अन्य भाग में सूजन, भारीपन महसूस होना, ज्यादा समय तक खड़े रहने में परेशानी, प्रभावित हिस्से में दर्द महसूस होना, जी मिचलाना, बार-बार उल्टी होना, पेट साफ न होना, मल के साथ खून आना, सीने में दर्द रहना आदि इसके लक्षण हैं।

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