लोकसभा चुनाव 2014: 6737 वोटरों को 14 प्रत्याशियों में से कोई नहीं भाया

भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी को छोड़ कोई नहीं कर सका नोटा की बराबरी

लोकसभा चुनाव 2014: 6737 वोटरों को 14 प्रत्याशियों में से कोई नहीं भाया

अनुपम सिंह, बरेली। असंतुष्ट मतदाताओं ने ईवीएम में नोटा का बटन खूब दबाना शुरू कर दिया है। स्थिति ये है कि पार्टियों के उम्मीदवारों से ज्यादा वोट नोटा को मिल रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2013 में ईवीएम में नोटा का बटन लगाया गया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 में पहली बार नोटा दबाया गया। बरेली के उस चुनाव में 14 प्रत्याशी थे। कुल मतदाताओं की संख्या साढ़े 16 लाख से ज्यादा थी। इनमें 9,11,310 पुरुष और 7,52,671 महिला मतदाता थी। इसमें 10,17,891 यानी 61.21 फीसदी वोट पड़े थे। इसमें 6,737 वोट नोटा को पड़े थे। जबकि आम आदमी पार्टी के सुनील कुमार को 3,703, पीस पार्टी के असलम को 3338, निर्दलीय उम्मीदवार नेतराम को 2038, सय्यद राशिद को 1885, कमल किशोर इंजीनियर को 1806, मनोज विकट को 1567, लोटन सिंह पटेल को 1402, जावेद खान को 964 वाेट ही मिले थे।

इसके बाद लोकसभा चुनाव 2019 में भी नोटा का बटन खूब दबा। इस चुनाव में कुल वोटर साढ़े 17 लाख से ज्यादा हो चुके थे। इसमें 9,61,116 पुरुष और 7,99668 महिलाएं थीं। कुल 16 प्रत्याशियों के लिए 10,68342 यानी 60.5 फीसदी वोट पड़े। इनमें भाजपा, सपा, कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा एक निर्दलीय उम्मीदवार सय्यद राशिद ही कुछ वोटों से नोटा से आगे निकल पाए। नोटा को 3,824 वोट मिले थे और राशिद को 3,987। पांच निर्दलीय और सात छोटे दलों के उम्मीदवार नोटा की बराबरी नहीं कर पाए।

विधानसभा चुनावों में भी नोटा ने दिखाया दम
विधानसभा चुनाव 2017 में बरेली विधानसभा क्षेत्र में 4,16, 242 मतदाता थे जिनमें 2,22, 452 यानी 53.8 फीसदी ने 12 प्रत्याशियों के लिए वोट डाले। भाजपा, बसपा, कांग्रेस, सीपीआई प्रत्याशी को छोड़कर कोई नोटा की बराबरी नहीं कर सका। जन शक्ति एकता पार्टी काे 345, पीस पार्टी काे 1073, राष्ट्रीय लोकदल को 643 और दूसरे छोटे दलों से लेकर निर्दलीय उम्मीदवार भी 1500 वोटों का आंकड़ा पार नहीं कर सके थे, नोटा को 1421 वोट मिले थे। विधानसभा चुनाव 2022 में बरेली सीट पर मतदाताओं की संख्या 4,61,257 हो गई जिसमें से 11 प्रत्याशियों के लिए 2,38,768 वोट पड़े। इस बार भी भाजपा, सपा, बसपा, कांग्रेस, ऑल इंडिया मजलिस के अलावा कोई प्रत्याशी नोटा के आंकड़े को पार नहीं कर सका।

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