कारण बताओ नोटिस में असहमति के कारणों को स्पष्ट करना आवश्यक :हाईकोर्ट 

कारण बताओ नोटिस में असहमति के कारणों को स्पष्ट करना आवश्यक :हाईकोर्ट 

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किसी कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के मामले में कहा कि अनुशासनात्मक प्राधिकारी को दोषमुक्ति से असहमत होने के कारणों को दर्ज करना चाहिए, जिससे दोषी कर्मचारियों को प्रभावी ढंग से अपना बचाव करने का अवसर मिल सके। 

कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि जांच अधिकारी की राय से असहमत होने के लिए कारण बताओ नोटिस में कारण दर्ज करने का एक निश्चित उद्देश्य है। यह दोषी कर्मचारी को उन मुद्दों पर अपना स्पष्टीकरण देने का अवसर प्रदान करता है, जिन पर अनुशासनात्मक प्राधिकारी उलझ जाते हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद कमर हसन रिजवी की खंडपीठ ने राज्य सरकार की विशेष अपील को खारिज करते हुए पारित किया। वर्तमान मामले में कर्मचारी श्याम केवल राम (विपक्षी) के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू हुई, जिसमें वह अस्थाई रूप से गबन के आरोप में दोषी पाया गया था।

कर्मचारी को आरोपों से मुक्त करने पर असहमति जताते हुए प्राधिकारी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया। उक्त आदेश को कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। कर्मचारी की ओर से तर्क दिया गया कि जांच अधिकारी के निष्कर्ष की अवहेलना करने के कारणों को न बताकर कर्मचारी को अपने बचाव का अवसर नहीं दिया गया, जिसे एकलपीठ ने उचित मानते हुए सजा को टिकाऊ नहीं माना। उपरोक्त आदेश को राज्य सरकार ने चुनौती देते हुए वर्तमान अपील दाखिल की, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पाया कि प्राधिकारी की कार्यवाही गलत थी। अंत में कोर्ट ने एकलपीठ के आदेश में हस्तक्षेप ना करते हुए वर्तमान अपील खारिज कर दी।

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