Kanpur: जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में होगी हेपेटाइटिस बी और सी की जांच; मरीजों को मिलेगा नि:शुल्क इलाज
कानपुर, अमृत विचार। हेपेटाइटिस बी और सी से ग्रस्त मरीजों को अब वायरल लोड की जांच निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में नहीं करानी पड़ेगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में ही अब हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच होगी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज को नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम का सेंटर बनाया गया है। इससे अब मरीजों की जांच में जहां आसानी होगी, वहीं इसका इलाज भी हो सकेगा।
हैलट अस्पताल में हेपेटाइटिस बी से ग्रस्त करीब 20 मरीज और हेपेटाइटिस सी से ग्रस्त करीब 10 मरीज प्रति सप्ताह पहुंचते हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच की अभी सुविधा नहीं है, इस लिहाज से माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की ओर से सैंपल लखनऊ केजीयूएम भेजे जाते हैं, जहां से रिपोर्ट आने में कई सप्ताह लग जाते हैं। इससे मरीज को दिक्कत होने लगती है।
वहीं, प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर से जांच कराने पर मरीज को 12 से 15 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। इन मरीजों को परेशानी का सामना न करना पड़े, इसलिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज ने तैयारी कर ली है। कॉलेज को नेशनल वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम का सेंटर बनाया गया है, जिसके नोडल अधिकारी मल्टी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यट के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार हैं।
प्राचार्य प्रो. संजय काला, डॉ.विनय कुमार व माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.सुरैया खानम के प्रयासों से कॉलेज में जुलाई माह के अंत या अगस्त के पहले सप्ताह से वायरल लोड की जांच शुरू हो जाएगी। कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में जांच शुरू होने पर रिपोर्ट भी कुछ दिनों में मिल जाएगी। प्राचार्य प्रो. संजय काला ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस सी उन्मूलन का लक्ष्य रखा है। कॉलेज में जांच शुरू होने के बाद दवा व इलाज की बेहतर सुविधा होगी। जल्द ही जांच शुरू होगी।
साढ़े आठ हजार रुपये महीना आता दवा का खर्च
हेपेटाइटिस बी व सी के वायरल लोड की जांच निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में 10 हजार से 15 हजार तक में होती है। यह जांच मरीजों को कई बार करानी पड़ती हैं। इसके अलावा मरीज की स्थिति के हिसाब से दवा का खर्च औसतन साढ़े आठ हजार रुपये महीना आता है। वहीं, आरएनए और डीएनए की जांच भी सभी पैथोलॉजी में नहीं हो पातीं। नोडल अधिकारी डॉ.विनय कुमार ने बताया कि आरएनए व डीएनए जांच के लिए किट की अनुमति मांगी गई है। हैलट के सेंटर में सभी जांचें होने और दवाएं मिलने पर मरीजों को काफी सहूलियत मिलेगी।
220 रोगियों को नहीं पता, कैसे हो गए संक्रमित
विशेषज्ञों के मुताबिक हेपेटाइटिस बी और सी का संक्रमण जाने अनजाने में हो रहा है। क्योंकि हाईजीन को लेकर लोग सजग नहीं हैं। मेडिकल कॉलेज के गैस्ट्रोइंटोलॉजी विभाग में करीब 220 रोगी हेपेटाइटिस बी और सी का इलाज करा रहे हैं, लेकिन किसी को यह तक नहीं पता कि वह संक्रमित कब, कहां और कैसे हो गए। इनमें करीब 32 महिलाएं हैं। तय प्रोटोकॉल के तहत जांच कराने पर संक्रमण की पुष्टि हुई।
हेपेटाइटिस सेंटर खुलने से फायदे
-10 से 15 हजार कीमत की जांच होगी नि:शुल्क।
-10 से 17 हजार तक की दवाएं हर माह मिलेंगी फ्री।
-शिविरों के माध्यम से जांचें होने पर रोगी होंगे चिह्नित।
-पंजीकृत संक्रमितों को एप के जरिये ट्रैक किया जाएगा।
-हेपेटाइटिस बी और सी के लिए जागरूकता कार्यक्रम।
-सेंटर और केंद्र सरकार की ओर से होगी मॉनीटरिंग।
ऐसे होता संक्रमण का खतरा
-दाढ़ी व बाल कटवाते समय।
-शरीर पर टैटू गुदवाने से।
-असुरक्षित संभोग क्रिया से।
-संक्रमित सिरिंज लगाने से।