Karauli Sarkar: पितृ ऋण से मुक्त होना मनुष्य के लिए जरूरी, करौली शंकर महादेव धाम में पूर्वज मुक्ति के लिए किया गया हवन

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Published By Nitesh Mishra
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कानपुर में करौली शंकर महादेव धाम में पूर्वज मुक्ति के लिए किया गया हवन

कानपुर, अमृत विचार। करौली शंकर महादेव धाम में मंगलवार को पूर्णिमा पर उत्सव का आयोजन किया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने करौली शंकर महादेव के सानिध्य में यज्ञ में आहुति दी और सुखी जीवन के सूत्र को समझा।

करौली शंकर महादेव ने कहा कि शास्त्र कहते हैं कि मनुष्य के जीवन में तीन ऋण मुख्य होते हैं। 'देव ऋण', 'ऋषि ऋण', और 'पितृ ऋण'। इनमें से देव ऋण यज्ञादि द्वारा, ऋषि ऋण स्वाध्याय और पितृ ऋण को श्राद्ध द्वारा उतारा जाता है। इस ऋण का उतारा जाना जरूरी होता है। जब हमारे पूर्वजों की आत्मा शांत होगी तो हमें भी सुख- समृद्धि की प्राप्ति होगी।

पंच महाभूत अर्थात तत्व साधना तर्पण, अन्नदान, यज्ञ प्राणायाम और ध्यान करने से देव ऋण से मुक्ति मिलती है। जीव को परमात्मा से मिलन की प्यास जीवात्मा के परमात्मा से अलग होने के समय से ही रही है। लेकिन, जगत और माया में आकर्षित होकर प्राणी विभिन्न प्रकार के कर्म कर उन कार्यों के कर्म फलों के बंधन से बंध जाता है।

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