मुरादाबाद : अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ-गुलदार के राज खोलेंगे शोधकर्ता
एएमयू की वन्यजीव विज्ञान की टीम दो माह तक व्यवहार, गतिविधि और आहार पर रखेगी नजर
मुरादाबाद, अमृत विचार। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में पहली बार बाघ और गुलदार के व्यवहार को समझने के लिए शोध शुरू किया गया है। यह शोध अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के वन्यजीव विज्ञान विभाग की टीम द्वारा वन प्रभाग के सहयोग से किया जा रहा है। अध्ययन की खास बात यह है कि इसमें रिजर्व के अंदरूनी हिस्सों से लेकर बाहरी मानव-प्रभावित क्षेत्रों तक को शामिल किया गया है।
शोध का बड़ा उद्देश्य दोनों बड़े शिकारी बाघ और गुलदार के बीच होने वाली अंतर-प्रजातीय प्रतिस्पर्धा, उनके क्षेत्र उपयोग और आहार चयन को वैज्ञानिक तरीके से समझना है। जंगल में दोनों का साथ रहना वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए हमेशा से उत्सुकता का विषय रहा है। एएमयू के शोधार्थी शुभम चौहान की टीम ने रिजर्व में ऑक्यूपेंसी सर्वे और मल (स्कैट) संग्रह का कार्य तेज कर दिया है। अमानगढ़ टाइगर रिजर्व को लगभग 2.56 वर्ग किलोमीटर के 30 ग्रिडों में बांटा गया है। प्रत्येक ग्रिड से बाघ और गुलदार की उपस्थिति, मूवमेंट और उनके आहार से जुड़े संकेत जुटाए जा रहे हैं। यह अध्ययन दो महीने तक चलेगा और प्रतिदिन टीम जंगल के अलग-अलग हिस्सों में कई किलोमीटर का पैदल सर्वे कर रही है।
वन संरक्षक रमेश चंद्र ने बताया कि यह शोध बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे पहली बार स्पष्ट रूप से पता चलेगा कि बाघों की मौजूदगी गुलदार के व्यवहार, गतिविधि के समय और क्षेत्र के उपयोग को कितना प्रभावित करती है। साथ ही टीम रिजर्व से बाहर मानव-प्रभावित इलाकों में गुलदार की उपस्थिति और मानव वन्यजीव संघर्ष के कारणों का भी वैज्ञानिक विश्लेषण करेगी।
भविष्य की रणनीतियों के लिए तैयार होगा मजबूत आधार
अमानगढ़ टाइगर रिजर्व कॉर्बेट परिदृश्य का एक अहम हिस्सा है और लंबे समय से बाघ और गुलदार दोनों का सुरक्षित घर रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह नया अध्ययन न केवल इन दोनों खूंखार प्रजातियों के व्यवहार को समझने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य की संरक्षण रणनीतियों के लिए भी मजबूत आधार तैयार करेगा।
