Kailash Mansarovar Yatra: CM धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रियों के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना, जानिये क्या कहा...

Kailash Mansarovar Yatra: CM धामी ने कैलाश मानसरोवर यात्रियों के पहले दल को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना, जानिये क्या कहा...

नैनीताल। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को टनकपुर में कैलाश मानसरोवर यात्रा के पहले दल को हरी झंडी दिखा कर पिथौरागढ़ के धारचूला के लिये रवाना किया। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने का सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता। यह केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि आत्मिक और अध्यात्मिक जागरण का मार्ग है। 

उन्होंने कहा कि कैलाश पर्वत समस्त तीर्थों में सर्वोत्तम है और इसकी ऊर्जा पूरे ब्रह्मांड में संचार करती है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार इस यात्रा को सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिये पूरी तरह समर्पित है। प्रत्येक पड़ाव पर स्वास्थ्य, आवास, भोजन, सुरक्षा और अन्य आवश्यक सुविधायें सुदृढ़ की गयी हैं। जिससे श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना नहीं करना पड़े। 

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उन्होंने भोलेनाथ से सभी यात्रियों के सफल, मंगलमय और सुरक्षित यात्रा की कामना की। इससे पहले मुख्यमंत्री ने पर्यटक आवास गृह में सभी यात्रियों से मुलाकात की और उनसे बातचीत की। सभी श्रद्धालु सरकार की ओर से की गयी व्यवस्था से काफी संतुष्ट दिखाई दिये। इसके बाद मुख्यमंत्री ने यात्रा दल को हरी झंडी दिखा कर पिथौरागढ़ के धारचूला के लिये रवाना किया। 

इस दौरान पूरा माहौल शिव मय हो गया। पहले यात्री दल में विभिन्न राज्यों के 45 श्रद्धालु शामिल हैं। इनमें 32 पुरुष और 13 महिला श्रद्धालु हैं। यह दल शुक्रवार को दिल्ली से चंपावत के टनकपुर पहुंचा। चंपावत जिला प्रशासन और कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) की ओर से यात्रियों का परंपरागत ढंग से भव्य और दिव्य स्वागत किया गया।

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 यात्रियों के लिये सांस्कृतिक संध्या का भी आयोजन किया गया और उन्हें उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू कराया गया। इससे पहले मुख्यमंत्री आज सुबह अपने गृह नगर खटीमा के नगला तराई में धान की रोपाई कर रहे किसानों के बीच पहुंचे और उन्होंने खेत की जुताई के साथ ही धान रोपाई भी की। 

 धामी ने इस दौरान कुमाऊं में धान रोपाई के दौरान पारंपरिक हुड़का बोल गाये। उन्होंने इस दौरान किसानों की मेहनत, त्याग और समर्पण को नमन करते हुए कहा कि किसान न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं के संवाहक भी हैं।