फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी: विकास सिंह नरवे ने बुना था सारा तानाबाना, 55 घंटे की पूछताछ के बाद आलोक और अमित को भेजा गया जेल

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Published By Muskan Dixit
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खुद ही माल मंगवाने की बात कुबूली, कई सवालों के जवाब तलाशी नहीं सकी एसटीएफ

बांग्लादेश, त्रिपुरा समेत अन्य मुस्लिम बहुल इलाकों में करते थे आपूर्ति

लखनऊ, अमृत विचार: फेंसेडिल कफ सिरप तस्करी गिरोह के प्रमुख आरोपी बर्खास्त एसटीएफ सिपाही आलोक प्रताप सिंह और अमित सिंह टाटा ने 55 घंटे की पूछताछ में कई राज उगले। दोनों ने बताया कि कफ सिरप तस्करी का गिरोह बनाने में शुभम के करीबी विकास सिंह नरवे की मुख्य भूमिका रही। उसी ने सारा तानाबाना बुना। सभी को एक-दूसरे से मिलाया। इसके बाद खुद भूमिगत हो गया है। दोनों आरोपियों से एसटीएफ के अधिकारियों ने 55 घंटे की पूछताछ के बाद शाम साढ़े पांच बजे गोसाईंगंज जेल में दाखिल कर दिया। आरोपियों ने तस्करी में खुद शामिल होने की बात कुबूल की है। खुद ही माल मंगवाते थे। उसकी आपूर्ति बांग्लादेश, त्रिपुरा समेत अन्य मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में करते थे। एसटीएफ अब विकास सिंह नरवे की तलाश में दबिश देने के लिए टीम गठित कर रही है।

फेंसेडिल कफ सिरप का प्रयोग नशे के लिए किया जा रहा था। इसकी तस्करी धड़ल्ले से हो रही थी। पूरब से लेकर पश्चिम के बड़े नाम इस काले कारोबार में शामिल थे। इस मामले में गिरफ्तार एसटीएफ का बर्खास्त सिपाही आलोक प्रताप सिंह और अमित सिंह टाटा से गिरोह, काम करने के तरीके, कहां माल की आपूर्ति करते थे, इसकी जानकारी के लिए एसटीएफ ने 55 घंटे की रिमांड पर लिया था। शुक्रवार सुबह 10.30 बजे से अपनी कस्टडी में लेकर एसटीएफ के अधिकारी पूछताछ कर रहे थे। जौनपुर, बनारस समेत अन्य छोटे गांव के लड़कों के नाम पर फर्म बनवा रखी थी, जिसके नाम पर माल मंगवाते थे। जांच में सामने आया कि जिस दुकान के नाम पर सीरप मंगाई गई थी, उस दुकान में उतनी खपत ही नहीं है।

एसटीएफ की पूछताछ में दोनों ने बताया, उनका काम था कि माल को फर्जी फर्म पर मंगवाकर भंडारण करना, फिर उसे लेकर कोलकाता पहुंचाना। इसके आगे की चेन अलग है। वहां से अन्य लोग उसे लेकर बांग्लादेश समेत अन्य देशों में सप्लाई करते थे।

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