कार्यकर्ता ही ताकत, सेवा ही मेरा संकल्प... बोले भाजपा प्रदेश अध्यक्ष- आदेश नहीं, संवाद करूंगा; रूल नहीं, रोल निभाऊंगा
लखनऊ, अमृत विचार: भाजपा के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने अपने पहले ही संबोधन से साफ कर दिया कि उनके नेतृत्व की धुरी संगठन का कार्यकर्ता होगा। भव्य निर्वाचन समारोह में जैसे ही उन्होंने माइक संभाला, पूरा सभागार तालियों और नारों से गूंज उठा। आत्मविश्वास से भरे स्वर में पंकज चौधरी ने कहा कि भाजपा की असली ताकत उसका कार्यकर्ता है। आज इस पद पर पहुंचना मेरे लिए सत्ता का नहीं, सेवा का अवसर है। मुझे रूल नहीं करना है, बल्कि रोल अदा करना है। कहा कि कार्यकर्ता ही मेरी ताकत और सेवा ही मेरा संकल्प है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता कार्यकर्ताओं की बात सुनना और उनकी समस्याओं का समाधान करना होगा। नेतृत्व आदेश देने से नहीं, संवाद और समाधान से मजबूत होता है। उन्होंने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि संगठन में हर आवाज सुनी जाएगी। भाजपा की कार्यसंस्कृति का जिक्र करते हुए पंकज चौधरी ने कहा कि यह पार्टी किसी परिवार या जाति की नहीं, बल्कि परिश्रम और त्याग करने वाले कार्यकर्ताओं की है। यहां बूथ पर झंडा उठाने वाला कार्यकर्ता भी शीर्ष नेतृत्व तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी और सबसे अनुशासित राजनीतिक पार्टी है।
पंकज ने अपने राजनीतिक सफर को याद करते हुए कहा कि 1991 में भाजपा ने उन्हें महाराजगंज से पहली बार चुनाव लड़ने का अवसर दिया। तब से लेकर अब तक सात बार सांसद बनने तक का सफर कार्यकर्ताओं के भरोसे और मेहनत का परिणाम है। मैंने न कभी महाराजगंज छोड़ा, न भाजपा को पंकज चौधरी ने। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रदेश अध्यक्ष पद उनके जीवन की अब तक की सबसे बड़ी और गंभीर जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि वे इस जिम्मेदारी को विनम्रता, परिश्रम और संगठन के सामूहिक प्रयास से निभाएंगे। उनके भाषण के दौरान बार-बार ‘पंकज चौधरी जिंदाबाद’ के नारे गूंजते रहे, जिसने साफ संकेत दिया कि नए अध्यक्ष को जमीनी कार्यकर्ताओं का पूरा समर्थन हासिल है।
नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौतियां
• कार्यकर्ताओं में भरोसा और संतुलन: लंबे समय से लंबित मनोनयनों और उपेक्षा से नाराज कार्यकर्ताओं को साथ लेकर चलना।
• कुर्मी वोट बैंक की वापसी: 2024 में खिसके पिछड़े वोट, खासकर कुर्मी समाज को फिर से भाजपा के पाले में लाना।
• पंचायत चुनाव और 2027 की तैयारी: बूथ स्तर पर संगठन को धार देकर पंचायत और विधानसभा चुनाव की ठोस रणनीति।
• सरकार–संगठन तालमेल: प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और संगठन के बीच समन्वय बनाकर शिकायतों का समाधान।
