कानपुर: विशेष अधिकार से डिजिटल अरेस्ट के 300 मामलों की सीबीआई करेगी जांच, एक साल में 15 करोड़ का फ्राड
2021 के 29 डिजिटल अरेस्ट के बाद 2025 में आंकड़ा तीन गुना, साइबर शातिरों का आसान शिकार बना हाउस अरेस्ट
शिव प्रकाश मिश्रा, कानपुर। साइबर फ्राड के नए-नए हथकंडों में डिजिटल अरेस्ट स्कैम अब शातिरों की धूर्तचाल में शामिल है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्ती बरती है। जिसके बाद अब डिजिटल अरेस्ट के सभी फ्राड की जांच सीबीआई करेगी। जिसमें शहर के भी 300 मामले शामिल हैं। जांच में सीबीआई को विशेष अधिकार भी दिए गए हैं। साइबर अपराध में इस्तेमाल बैंक खातों का पता चलने पर बैंकरों की जांच करने के लिए सीबीआई को पूरी आजादी होगी।
साइबर सेल के अनुसार शातिर डिजिटल अरेस्ट से आसान शिकार बनाते हैं और मोटी कमाई खातों में ट्रांसफर करवा रहे हैं। सीबीआई, एटीएस-एसटीएफ, डीजी व इनकम टैक्स का खुद अधिकारी बताकर साइबर अपराधियों ने एक साल में करीब 80 लोगों को डिजिटल अरेस्ट किया, जबकि पांच सालों के 300 मामलों के आंकड़े चौकाने वाले हैं। एक साल में डिजिटल अरेस्ट के मामलों में लोगों को डरा-धमकाकर व जेल जाने का भय दिखाकर करीब 15 करोड़ रुपये खातों में भेजे गए।
किसी को सिर्फ कॉल करते उसे उसके घर में ही अरेस्ट करना। परिजनों से भी मिलने न देना। डराना और धमकाना। घुड़की देना जरा सी लापरवाही पर तत्काल जेल जाना होगा। साइबर शातिरों के इस लहजे से लोग टूट जाते हैं और माटी रकम ट्रांसफर कर देते हैं। डिजिटल अरेस्ट के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। कई साल के आंकड़े देखें तो 2021 में 29 लोग डिजिस्ट अरेस्ट का शिकार हुए। उसके बाद तेजी से आंकड़े बढ़ रहे हैं। 2025 में यह आंकड़ा तीन गुना है, 80 से अधिक लोग डिजिटल अरेस्ट हुए और 15 करोड़ से अधिक रकम का फ्राड हुआ।
आंकड़ों के अनुसार बीते साल जनवरी 2024 से जून तक 6 करोड़ से अधिक की ठगी डिजिस्ट अरेस्ट से हुई। इसके बाद जुलाई 2024 से दिसंबर तक यह आंकड़ा 7 करोड़ के पास हुआ। जनवरी 2025 से अगस्त तक 11 करोड़ 32 लाख रुपये की ठगी साइबर सेल में दर्ज हुई है। इस साल डिजिटल अरेस्ट से सबसे बड़ी रकम शहर के एक नामचीन एनआरआई डॉक्टर से ली गई।
दो करोड़ 70 लाख रुपये डॉक्टर से खातों में ट्रांसफर कराए गए। 72 वर्षीय एनआरआई डॉक्टर अपने भतीजे के साथ नवाबगंज में रहते हैं। उनसे ठगी की रकम शहर के निजी बैंक की छह शाखाओं में डलवाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट की जांच के लिए सीबीआई को विशेष अधिकार दिए हैं। जिसमें सीबीआई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत बैंकरों की भूमिका की स्वतंत्र जांच करने का आदेश हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि डिजिटल अरेस्ट के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपी जाए और सहयोग करें।
प्री-एक्टिवेटेड सिम से 70 फीसदी ठगी
साइबर सेल टीम की जांच में सामने आया कि ठगी की तीन से पांच मामलों में एक ही नंबर का प्रयोग किया गया और यह नंबर प्री-एक्टिवेटेड रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि शातिर खातों से रुपये पार करने से पहले पूरी तैयारी कर लेते हैं। साइबर शातिरों ने प्री-एक्टिवेटेड सिम पहले से ही एकत्र किए। इसके साथ ही रकम को तत्काल दूसरे जिले और प्रदेश में ट्रांसफर के लिए फर्जी पते के बैंक खाते भी खुलवा रखे थे।
साइबर सेल टीम के सूत्रों के अनुसार ठगी की रकम ट्रांसफर करने के लिए प्रदेश स्तर पर करीब 350 से ज्यादा फर्जी खाते होंगे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब इन फर्जी खातों की भी हिस्ट्री खंगाली जा रही है। वहीं सभी प्री-एक्टिवेटेड सिम जो प्रदेश के अलग-अलग जिलों व छोटे कस्बों से खरीदे गए, उनके बारे में जानकारी एकत्र की जा रही है।
फ्राड में शातिरों का यह पैतरा भी शामिल
ऑनलाइन सेवाओं व मोबाइल एप पर निर्भरता के कारण साइबर अपराधी भी ठगी के नए-नए पैतरे अपना रहे हैं। जिसमें आरटीओ चालान, शादी का कार्ड, बीमा पॉलिसी, त्योहारों पर ऑफर व छूट का लालच देकर आसान ठगी की जाती है। अब तो मैट्रीमोनियल साइट्स, हनी ट्रैप भी आसान फ्राड की लिस्ट में आती है। कॉल सेंटर, बैंक किस्त समेत और भी तरीकों से शातिर साइबर खातों से रुपये पार करते हैं। लालच में पड़कर लोग पूंजी गवां देते हैं। बीते तीन-चार माह में एपीके फाइल से ठगी के 43 मामले सामने आए। जिनमें 2.70 करोड़ रुपये की ठगी हुई।
डिजिटल अरेस्ट के मामले
1- 19 दिन डिजिटल अरेस्ट कर 42.50 लाख ठगे
बर्रा के जूही कला स्थित एक अपार्टमेंट में रहने वाले पॉवर ग्रिड से सेवानिवृत्त इंजीनियर राजेंद्र प्रसाद को साइबर शातिरों ने 19 दिन डिजिटल अरेस्ट कर 42.50 लाख रुपये की ठगी की। सात अगस्त को उनके मोबाइल पर अनजान व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले ने खुद को सीबीआई में तैनात आईपीएस अधिकारी बताया। कहा कि उनके आधार कार्ड का इस्तेमाल करके मुंबई के केनरा बैंक में फर्जी खाता खोला गया, जिसका उपयोग जेट एयरलाइंस के संस्थापक के मनी लॉड्रिंग मामले में हुआ है। फिर डराया, धमकाया।
सुप्रीम कोर्ट में मामला होने की बात कह जेल जाने की घुड़की दी। उनके सभी खातों में जमा रकम बताए खातों में ट्रांसफर करवाई। जांच प्रक्रिया पूरी होने पर 72 घंटे में अंदर पैसा खातों में वापस करने की बात भी कही। डर के कारण इंजीनियर 11 से 21 अगस्त के बीच पांच बार में कुल 42.50 लाख रुपये मुंबई के विभिन्न खातों में आरटीजीएस किए। फिर ठगी का अहसास होने पर पुलिस व साइबर सेल में शिकायत की।
2- शिक्षिका के तीन खातों से 90 लाख ट्रांसफर कराए
केशवपुरम निवासी महिला शिक्षक कंचन भी डिजिटल अरेस्ट का शिकार हुई। उनका बेटा माणिक शुक्ला कोटा में डॉक्टर की पढ़ाई कर रहा है। कंचन ने साइबर सेल में शिकायत कर बताया कि उनके पास कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को इनकम टैक्स का अधिकारी बताया। कहा आपके अकाउंट में ब्लैक मनी है। इसके बाद शिक्षिका को धमकाया, फोन पर रहते हुए किसी अन्य से बात न करने की हिदायत दी। शिक्षिका शातिर के प्रभाव में आ गई और वैसा ही किया। कंचन के अनुसार डिजिटल अरेस्ट में करीब साढ़े तीन घंटे तक कॉल चली। मोबाइल डिस्चार्ज होने पर चार्ज करके बात करने को कहा। शातिरों ने धमका कर तीन खातों में 32 बार में 90 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए। फिर फ्राड का अहसास होने पर कल्याणपुर थाने में शिकायत की।
तीन- एनआरआई डॉक्टर को डिजिटल अरेस्ट कर 2.70 करोड़ ठगे
स्वरूपनगर निवासी एनआरआई चिकित्सक डॉ. वीके नरूला अपने भतीजे सुयश के पास रहते हैं। 2024 में ही वह विदेश से लौटकर आए हैं। भतीजे सुयश ने बताया कि रविवार का दिन था जब उनके चाचा के पास एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। साइबर शातिर ने चाचा पर कई आरोप लगाकर उन्हें तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा। मोबाइल डिस्चार्ज होने पर कहा कि फिर बात होगी। उन्होंने बताया कि करीब 29 बार उनके मोबाइल पर शातिरों की कॉल आई। शातिर को उनके विदेश से लौटने की भी जानकारी थी। चाचा निजी काम से मुंबई गए थे, वहां से लौटने पर उन्होंने डिजिटल अरेस्ट की बात बताई। कहा उनके तीन खातों में जमा दो करोड़ 70 लाख रुपये शातिर ठगों ने खातों में ट्रांसफर कराए हैं।
सावधानी बरतें, शातिरों को ऐसे समझें
साइबर अपराधी खुद को कस्टम, इनकम टैक्स, सेंट्रल जांच एजेंसी जैसे विभागों का अफसर बताकर बात करता है। कई बार पहले फोन आता है और बताया जाता है कि सर बात करेंगे। जाहिर है ऐसे में व्यक्ति सर कहकर शुरूआत करता है। उसके बाद उस पर हथकंडे अपनाए जाते हैं। फिर कहा जाता है कि जल्द गिरफ्तारी हो सकती है, जेल जाना पड़ेगा। ऐसे में शातिरों का मकसद सिर्फ डराना होता है, जिससे आसान तरीके से खाते खाली करवा सके। ऐसे में समझ जाएं की कोई साइबर फ्राड है। लिहाजा डरें नहीं, जवाब दें। क्षेत्र के थाने व पुलिस अधिकारियों से मिलकर पूरी बात बताए। उससे पहले किसी भी तरह का डाटा, खाता या ओटीपी साझा न करें।
इस तरह खुद को सुरक्षित करें
- किसी भी तरह की कॉल आने पर या व्हाट्सएप पर किसी को भी अपना आधार नंबर, बैंक जानकारी, ओटीपी आदि कतई साझा न करें।
- किसी भी संदिग्ध कॉल, संदेश और व्हाट्सएप मैसेज को गंभीरता से लें, उस पर तत्काल जानकारी साझा करने से बचें। पुलिस से शिकायत करें।
- यदि आप किसी डिजिटल अरेस्ट ठगी का शिकार होते हैं, तो तत्काल राष्ट्रीय साइबर अपराध के रिपोर्टिंग पोर्टल व साइबर सेल में शिकायत करें।
- शातिरों की कॉल डिटेल, ट्रांजेक्शन डिटेल और मैसेज आदि को संभालकर सुरक्षित रखें। कोशिश करें की ट्रांजेक्शन की नौबत न आए।
साइबर ठगी के आंकड़े----
वर्ष डिजिटल अरेस्ट कस्टम/पुलिस एनी हेल्पडेस्क रकम दोगुनी का लालच
2021 29 16 32 43
2022 67 34 41 32
2023 52 41 39 54
2024 72 54 22 67
2025 80 67 34 79
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कुल 300 212 168 275
