भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की नई टीम पर फोकस, 8 उपाध्यक्ष और 3 महामंत्री बनाकर गढ़ी जाएगी टीम
संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह पर बदलाव के आसार नहीं
लखनऊ, अमृत विचार: भाजपा उत्तर प्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी के चुनाव के बाद अब संगठन की निगाहें प्रदेश कार्यकारिणी की नई टीम पर टिक गई हैं। पार्टी के संविधान के तहत होने वाले इस गठन को लेकर संगठन के भीतर मंथन तेज हो गया है। प्रदेश महामंत्री (संगठन) के पद पर फिलहाल किसी बदलाव के आसार नहीं हैं, जबकि उपाध्यक्ष, महामंत्री और मंत्री पर नए चेहरों को मौका मिलने की प्रबल संभावना है।
पार्टी संविधान की धारा–17 के अंतर्गत श्रेणी–3 में आने वाले प्रदेशों के लिए स्पष्ट प्रावधान है कि प्रदेश कार्यकारिणी में अधिकतम 105 सदस्य हो सकते हैं। इसी श्रेणी के तहत उत्तर प्रदेश में अधिकतम 8 प्रदेश उपाध्यक्ष और 3 प्रदेश महामंत्री बनाए जा सकते हैं। ऐसे में नई टीम का ढांचा लगभग तय माना जा रहा है और अब सवाल सिर्फ नामों को लेकर है। संविधान के अनुसार श्रेणी–3 की कार्यकारिणी में कम से कम 35 महिलाएं और 9 अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के सदस्य होना अनिवार्य है। यही कारण है कि नई टीम के चयन में केवल राजनीतिक अनुभव नहीं, बल्कि सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को भी विशेष महत्व दिया जाएगा। पश्चिम यूपी, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और अवध- चारों क्षेत्रों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की तैयारी है।
सूत्रों के मुताबिक, संगठन महामंत्री का पद यथावत रखा जाएगा। इसे संगठन की रीढ़ माना जाता है और पंचायत चुनाव तथा 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले इस पद पर स्थिरता बनाए रखने के संकेत हैं। केंद्रीय नेतृत्व भी इस पद पर निरंतरता के पक्ष में बताया जा रहा है। संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह पूरे प्रदेश में अपने संगठन कौशल और मेहनत से बूथ से लेकर शीर्ष तक सबसे प्रभावी चेहरे हैं।
उपाध्यक्ष-महामंत्री पदों पर बदलाव तय
8 प्रदेश उपाध्यक्ष और 3 प्रदेश महामंत्री के पदों पर नए चेहरों को आगे लाने की तैयारी है। इसमें युवा, सक्रिय और जमीनी स्तर पर संगठन का अनुभव रखने वाले नेताओं को प्राथमिकता मिलने की चर्चा है। कुछ मौजूदा पदाधिकारियों को बाहर कर या नई जिम्मेदारी देकर संगठन में संतुलन साधा जा सकता है। सरकार के निगम, आयोग, परिषद आदि में भी कईयों को भेजकर पदोन्नति मिलेगी।
नाराजगी दूर करने और 2027 की बिसात
नई टीम के गठन को सिर्फ संगठनात्मक कवायद नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव की बिसात के रूप में देखा जा रहा है। लंबे समय से संगठन में समायोजन का इंतजार कर रहे नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा होगी। माना जा रहा है कि कुछ नेताओं को संगठन में और कुछ को बोर्ड-निगम या सरकारी दायित्वों के जरिए संतुष्ट किया जा सकता है।
केंद्र की नजर, अध्यक्ष को फ्री हैंड
हालांकि अंतिम मुहर केंद्रीय नेतृत्व की होगी, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पंकज चौधरी को अपनी टीम चुनने में काफी हद तक फ्री हैंड मिलेगा। यह उनके अध्यक्षीय कार्यकाल की पहली बड़ी संगठनात्मक परीक्षा होगी। कुल मिलाकर प्रदेश कार्यकारिणी की यह नई टीम केवल नामों की सूची नहीं होगी, बल्कि भाजपा की आगामी चुनावी रणनीति और संगठनात्मक दिशा का संकेत भी देगी।
