बचपन…

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बचपन का भी एक ज़माना था, जिसमें न ही कोई अफ़साना था। पूरे गांव में अपना ठिकाना था, सबका लाडला जो कहलाना था। दिनभर स्कूल में थक कर चूर हो जाना था, लेकिन शाम होने पर खेलने भी जरूर जाना था। चारों ओर खुशियों का ही खज़ाना था, दिमाग बचकाना और दिल कैडींस का दीवाना …

बचपन का भी एक ज़माना था,
जिसमें न ही कोई अफ़साना था।
पूरे गांव में अपना ठिकाना था,
सबका लाडला जो कहलाना था।
दिनभर स्कूल में थक कर चूर हो जाना था,
लेकिन शाम होने पर खेलने भी जरूर जाना था।
चारों ओर खुशियों का ही खज़ाना था,
दिमाग बचकाना और दिल कैडींस का दीवाना था।
छोटी सी चोट लगने पर रोते-रोते पूरा घर सर पर उठाना था,
मक़सद सिर्फ़ सबका प्यार पाना था।
परियों का फ़साना था,
खिलौनों से अपना याराना था।
हर मौसम सुहावना था,
वो बचपन का ज़माना था।

  • निकिता चौधरी

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