इस जंगल में भगवान श्रीराम ने वनवास के बिताए थे 10 साल, जानें इतिहास
सबसे प्राचीन जंगल: दंडकारण्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों के मुख्य स्थान को कहा जाता है। इसका पौराणिक इतिहास में बहुत उल्लेख मिलता है। हालांकि प्राचीनता के नाम पर सबसे प्राचीन सुंदरवन को माना जाता है। भगवान श्रीराम ने दंडकारण्य में ही अपने वनवास के लगभग 10 वर्ष बिताए थे। यहां की नदियों, पहाड़ों, …
सबसे प्राचीन जंगल: दंडकारण्य मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों के मुख्य स्थान को कहा जाता है। इसका पौराणिक इतिहास में बहुत उल्लेख मिलता है। हालांकि प्राचीनता के नाम पर सबसे प्राचीन सुंदरवन को माना जाता है। भगवान श्रीराम ने दंडकारण्य में ही अपने वनवास के लगभग 10 वर्ष बिताए थे। यहां की नदियों, पहाड़ों, सरोवरों एवं गुफाओं में राम के रहने के सबूतों की भरमार है। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भी इसी क्षेत्र का हिस्सा था।
मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के क्षेत्रों में नर्मदा व महानदी आदि नदियों के किनारे 10 वर्षों तक उन्होंने कई ऋषि आश्रमों का भ्रमण किया। दंडकारण्य क्षेत्र तथा सतना के आगे वे विराध सरभंग एवं सुतीक्ष्ण मुनि के आश्रमों में गए। बाद में वे सुतीक्ष्ण आश्रम वापस आए। पन्ना, रायपुर, बस्तर और जगदलपुर में कई स्मारक विद्यमान हैं, उदाहरणत: मांडव्य आश्रम, श्रृंगी आश्रम, राम-लक्ष्मण मंदिर आदि।
वर्तमान में करीब 92,300 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस इलाके के पश्चिम में अबूझमाड़ पहाड़ियां तथा पूर्व में इसकी सीमा पर पूर्वी घाट शामिल हैं। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के हिस्से शामिल हैं। इसका विस्तार उत्तर से दक्षिण तक करीब 320 किमी तथा पूर्व से पश्चिम तक लगभग 480 किलोमीटर है। दंडकारण्य क्षेत्र की चर्चा पुराणों में विस्तार से मिलती है। इस क्षेत्र की उत्पत्ति कथा महर्षि अगस्त्य मुनि से जुड़ी हुई है। यहीं पर उनका महाराष्ट्र के नासिक के अलावा एक आश्रम था।
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