गौतम गंभीर को कोच मानने से कपिल देव ने किया इनकार, कहा- इंटरनेशनल लेवल पर...

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Published By Deepak Mishra
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कोलकाता। भारत के पहले विश्व कप जीतने वाले कप्तान कपिल देव ने पूर्व भारतीय सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर को लेकर कहा कि आज के क्रिकेट सेटअप में गंभीर को कोच के बजाय टीम प्रबंधक के तौर पर देखा जाना चाहिए। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के आईसीसी शताब्दी सत्र में कपिल ने कहा कि समकालीन क्रिकेट में 'कोच' शब्द को अक्सर गलत समझा जाता है और उन्होंने उच्चतम स्तर पर इसकी प्रासंगिकता पर सवाल उठाया। 

कपिल की यह टिप्पणी भारत के हाल ही में घर पर टेस्ट सीरीज में 0-2 से हार के बाद गंभीर की बढ़ती आलोचना के बीच आई है, जिसमें खिलाड़ियों के बार-बार रोटेशन और ऑलराउंडरों पर अत्यधिक निर्भरता को लेकर गंभीर की आलोचना की गई है।

कपिल ने कहा, "आज, कोच नाम का यह शब्द, कोच एक बहुत ही आम शब्द है। गौतम गंभीर कोच नहीं हो सकते। वह टीम के मैनेजर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब आप कोच कहते हैं, तो कोच वह होता है जिनसे मैं स्कूल और कॉलेज में सीखता हूं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि गौतम गंभीर किसी लेग-स्पिनर या विकेटकीपर को क्रिकेट की बारीकियां कैसे सिखा सकते हैं। 

उनके अनुसार, यह काम स्कूल या कॉलेज स्तर के कोचों का होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुख्य कोच का असली काम खिलाड़ियों के व्यक्तित्व को समझना, उनका मनोबल बढ़ाना और टीम के लिए एक सही माहौल तैयार करना है।" पूर्व ऑलराउंडर ने इस बात पर बल दिया कि कोच का काम तकनीकी सिखाने से ज्यादा खिलाड़ियों का सही तरीके से प्रबंधन करना होता है। 

उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि आपको मैनेज करना होगा। यह अधिक महत्वपूर्ण है। एक प्रबंधक के तौर पर आप उन्हें प्रोत्साहित करते हैं कि आप यह कर सकते हैं, क्योंकि जब आप प्रबंधक बनते हैं, तो युवा लड़के आपको देखते हैं।" कपिल ने समझाया कि एक सहायक माहौल बनाना कप्तान और टीम मैनेजमेंट दोनों की एक प्रमुख जिम्मेदारी थी। 

उन्होंने कहा, " आप किसी लेग स्पिनर या विकेटकीपर को कैसे कोच कर सकते हैं, जब वे पहले से उस कला में माहिर हैं? ऐसे में सबसे जरूरी काम मैनेजमेंट का होता है। एक मैनेजर खिलाड़ियों को भरोसा देता है, हौसला बढ़ाता है और उन्हें यह एहसास दिलाता है कि वे बेहतर कर सकते हैं।" 

कपिल ने कहा, "कप्तान या प्रबंधक का काम टीम को आराम और आत्मविश्वास देना है। खासकर उन खिलाड़ियों को, जो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं" उन्होंने अपने कप्तानी अनुभव को साझा करते हुए कहा, "जो खिलाड़ी शतक बनाता है, उसके साथ मैं डिनर पर नहीं जाऊंगा। मैं उन लोगों के साथ वक्त बिताना पसंद करता हूं, जो संघर्ष कर रहे हों, ताकि उन्हें आत्मविश्वास मिले।" 

कपिल ने इस बात पर बल देते हुए अपनी बात खत्म की कि क्रिकेट में लीडरशिप केवल व्यक्तिगत प्रदर्शन से कहीं अधिक होती है। उन्होंने कहा, "इसलिए मुझे लगता है कि एक कप्तान के तौर पर यह बहुत जरूरी है, और आपकी भूमिका केवल आपका प्रदर्शन नहीं है, बल्कि टीम को एक साथ लाना भी है।" 

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