पीलीभीत: बहुचर्चित खनन मामले में डीएम का आदेश निरस्त, ठेकेदार को राहत

पीलीभीत: बहुचर्चित खनन मामले में डीएम का आदेश निरस्त, ठेकेदार को राहत

पीलीभीत, अमृत विचार। दो साल पुराने बहुचर्चित अवैध खनन के मामले में 1.64 करोड़ रुपये जुर्माना डालते हुए ठेकेदार के खिलाफ किए गए तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश को उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति ने निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने नए सिरे से सुनवाई के बाद दोबारा निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। जिससे ठेकेदार …

पीलीभीत, अमृत विचार। दो साल पुराने बहुचर्चित अवैध खनन के मामले में 1.64 करोड़ रुपये जुर्माना डालते हुए ठेकेदार के खिलाफ किए गए तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश को उच्च न्यायालय इलाहाबाद के न्यायमूर्ति ने निरस्त कर दिया है। न्यायालय ने नए सिरे से सुनवाई के बाद दोबारा निर्णय लेने के आदेश दिए हैं। जिससे ठेकेदार को बड़ी राहत मिली है।

मामला दो साल पुराना है। बरेली जनपद के फरीदपुर क्षेत्र के मोहल्ला साहूकारा निवासी अनिल अग्रवाल उर्फ बिट्ठन लाल को खनन का ठेका 22 मार्च 2018 से 21 मार्च 2023 तक पांच साल के लिए किया गया था। जिसमें नियम विरुद्ध तरीके से अवैध खनन किए जाने का आरोप लगने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने जांच कराई। एसडीएम सदर, खनन निरीक्षक की अगुवाई में टीम मौके पर भेजी गई और पड़ताल कराई थी।

पट्टाधारक को आवंटित क्षेत्र की पैमाइश कराकर रिपोर्ट पांच फरवरी 2020 को जिलाधिकारी को भेजी थी। यही नहीं कुल 8200 घनमीटर बालू का अवैध खनन किए जाने की बात कही गई थी। इसे तत्कालीन जिलाधिकारी ने पट्टा विलेख की शर्तों का स्पष्टतया उल्लंघन बताते हुए एक आदेश जारी कर दिया। जिसके तहत पट्टाधारक अनिल अग्रवाल पर एक करोड़ 64 लाख 54 हजार रुपये जुर्माना डाला गया था।

इस आदेश को चुनौती देते हुए पट‌्टा धारक ने न्यायालय की शरण ली। जिसके बाद राहत भी मिल गई। उच्च न्यायालय इलाहाबाद में सुनवाई चली। न्यायमूर्ति राजेश बिंदल, जेजे मुनीर ने सुनवाई के बाद जिलाधिकारी की ओर से किए गए आदेश को निरस्त कर दिया। अधिवक्ता सुधीर तिवारी ने बताया कि जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ पट्टाधारक ने उच्च न्यायालय की शरण ली थी। उसकी ओर से न्यायालय में पैरवी अधिवक्ता धनश्याम दास मिश्र ने की थी।

माननीय की नाराजगी पर हुई थी जांच
दो साल पुराना खनन का यह मामला ऐसे ही चर्चित नहीं हुआ। उसमें एक माननीय का दखल अहम रहा था। उनकी ओर से औचक छापा खनन करने वाले स्थान पर मारा गया था। जिसके बाद वह कार्रवाई कराने के लिए अडिग हो गए थे। उनके इस कदम के विरोध में राजनीति भी गरमाई। तमाम नेताओं ने इसे मुद्दा बनाते हुए माननीय को घेरने की कोशिश की और सड़कों पर उतरकर नारेबाजी भी की थी।

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