विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश से पाबंदी हटाने की मांग तेज, तुर्की-सऊदी अरब ने की तालिबान के फैसले की निंदा
काबुल। मुस्लिम बहुल तुर्की और सऊदी अरब ने भी विश्वविद्यालयों में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लेकर तालिबान प्रशासन की निंदा की है। उधर, काबुल की सड़कों पर दो दर्जन महिलाओं ने इस कदम के विरूद्ध गुरुवार को विरोध प्रदर्शन किया। घरेलू स्तर पर कई अफगान क्रिक्रेटरों ने विश्वविद्यालय में महिलाओं के प्रवेश पर रोक की निंदा की है। अफगानिस्तान में क्रिक्रेट सबसे लोकप्रिय खेल है और सोशल मीडिया पर खिलाड़ियों के हजारों फोलोवर्स हैं।
इस सप्ताह के प्रारंभ में तालिबान शासकों ने देशभर में महिलाओं के निजी एवं सरकारी विश्वविद्यालयों में पढ़ने पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। वैसे तो तालिबान प्रशासन ने इसकी कड़ी वैश्विक निंदा पर अबतक सार्वजनिक रूप से कुछ नहीं कहा है। लेकिन उच्च शिक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियाउल्लाह हाशमी ने गुरुवार को ट्वीट किया कि इस कदम पर स्पष्टीकरण देने के लिए इस सप्ताह एक संवाददाता सम्मेलन किया जाएगा।
प्रारंभ में महिलाओं एवं अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने तथा और अधिक उदार शासन का वादा करने के बावजूद तालिबान ने व्यापक रूप से इस्लामिक कानून या शरिया को कड़ाई से लागू किया है। उसने अगस्त, 2021 में सत्ता पर कब्जा कर लिया था। तालिबान के महिलाओं के विश्वविद्यालय में प्रवेश पर रोक के फैसले की तुर्की और सऊदी अरब ने भी निंदा की है। तुर्की के विदेश मंत्री मेवलट कावुसोगलु ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह पाबंदी न तो ‘इस्लामिक है और न ही मानवीय।’’
उन्होंने तालिबान से यह कदम वापस लेने की मांग की। सन 2019 तक महिलाओं पर कई तरह की बंदिशें लगाते रहे सऊदी अरब ने तालिबान से अपना निर्णय वापस लेने की अपील की है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने अफगानिस्तान के इस कदम पर ‘आश्चर्य और अफसोस’ प्रकट किया। बुधवार को उसने एक बयान में कहा कि यह फैसला ‘सभी इस्लामी देशों में आश्चर्यजनक है।’ इससे पहले कतर ने अफगानिस्तान के इस कदम की निंदा की थी। उधर, यहां काबुल में बृहस्पतिवार को करीब दो दर्जन महिलाओं ने प्रदर्शन किया और नारेबाजी की।
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