सामूहिक हत्याकांड में सौतेले बेटे समेत छह को उम्रकैद, 11 साल पहले हुई थी दंपत्ति समेत चार की हत्या

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Published By Muskan Dixit
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वजह बना संपत्ति विवाद, दी गई चार लाख की सुपारी

लखनऊ/ बाराबंकी, अमृत विचार: करीब 11 साल पहले सम्पत्ति विवाद में सौतेले माता पिता समेत परिवार के चार सदस्यों की सामूहिक हत्या को अंजाम देने वाले बेटे उसकी पत्नी समेत छह अभियुक्तों को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इन्हे 75-75 हजार रुपये जुर्माना भी अदा करना होगा। सजा सुनाए जाते ही कोर्ट के बाहर खड़े परिजन रो पड़े। बताते चलें कि 10 फरवरी 2014 काे दरियाबाद थाना क्षेत्र अंतर्गत मथुरानगर गांव वासी शिवबरन, पत्नी रानी, बेटी गुड़िया व बेटे निर्मल के शव घर में पड़े मिले थे।

देखकर ही स्पष्ट हुआ कि इनकी हत्या बड़े ही निर्मम तरीके से की गई थी। घर पहुंचे शिवबरन के रिश्तेदार मनोज वर्मा ने यह दृश्य देखा तो पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने लिखा पढ़ी कर पूछताछ शुरु कर दी। यह घटना उस समय काफी चर्चा में रही। दो दिन बाद ही पुलिस ने मृतक शिवबरन की पहली पत्नी के पुत्र चंद्रशेखर से पूछताछ की तो सारा राज सामने आ गया। इसी बीच पुलिस के हत्थे चंद्रशेखर की पत्नी जनकलली, साला राजू वर्मा के अलावा हत्या में शामिल जितेन्द्र, दिनेश गौतम, व अर्जुन सिंह भी चढ़ गए। यह भी मालूम हुआ कि सामूहिक नरसंहार की यह वारदात सम्पत्ति के फेर में अंजाम दी गई। आपको बता दें कि यह कि मृतक शिवबरन ने तीन शादियां की थीं। कुछ समय बाद वह बीमार हुआ तो दवा पानी के लिए जमीन बेच डाली। शिवबरन की पहली पत्नी के बेटे चंद्रशेखर को लगा कि उसका पिता सब जमीन बेंच डालेगा और उसके हाथ कुछ नहीं आएगा। इसके बाद चंद्रशेखर ने पत्नी जनकलली के साथ साजिश रची कि सौतेले पिता व परिवार को मिटा दिया जाए। इस तरह वह अकेला वारिस बचेगा और संपत्ति उसकी हाे जाएगी।

हत्या के लिए दी चार लाख सुपारी

मृतक शिवबरन के सौतेले बेटे चंद्रशेखर ने पत्नी संग बातचीत के बाद भाड़े पर हत्यारे तलाशे। पत्नी जनकलली ने अपने भतीजे राजू वर्मा को यह जिम्मेदारी सौंपी। राजू वर्मा ने जितेन्द्र, दिनेश गौतम व अर्जुन सिंह के नाम सुझाए। इन्हे बतौर पेशगी बीस हजार रुपये दिए गए वहीं सुपारी की रकम चार लाख तय हुई। घटना के दिन यानी 6 फरवरी को यह सभी शिवबरन के घर पहुंचे और खाना खाने जा रहे परिवार की दिनदहाड़े धारदार हथियार का इस्तेमाल कर निर्मम हत्या कर दी। करीब तीन दिन तक शव घर में ही पड़े रहे। घटना का पता 10 फरवरी को चला, जब रिश्तेदार मनोज घर पहुंचा।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश बहादुर सिंह ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को इस प्रकरण में दोषसिद्ध चंद्रशेखर, जनकलली, राजू वर्मा, जितेन्द्र, दिनेश गौतम व अर्जुन सिंह को आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

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