राहुल गांधी ने कहा- हमारे परिवार की कश्मीरियत ने संगम से फैलाई गंगा-जमुनी तहजीब 

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

श्रीनगर। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कश्मीरियत एक सोच है और उनके पूर्वज इसी सोच को लेकर गंगा और यमुना के संगम प्रयागराज गये जहां से गंगा-जमुनी तहजीब फैली है।

ये भी पढ़ें - ‘‘भारत जोड़ो यात्रा’’: कांग्रेस के लिए 2024 की जगी उम्मीद, विवादों का भी पड़ा साया 

 गांधी ने कश्मीरी गाउन पहनकर भारी बर्फबारी के बीच यहां शेर ए कश्मीर स्टेडियम में भारत जोड़ो यात्रा के समापन समारोह को संबोधित करते हुए सोमवार को कहा “मेरा परिवार कश्मीर से गंगा की ओर गया था जहां संगम के पास हमारा घर है। कश्मीरियत वाली सोच को गंगा में डाला था और सोच को फैलाया जिसे उत्तर प्रदेश में गंगा-जमुनी तहज़ीब कहा जाता है।”

उन्होंने कहा कि इसी सोच को विस्तार देने के लिए उन्होंने भारत जोड़ो यात्रा शुरु की। इस यात्रा के जरिए उन्होंने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने का काम किया है और जिस तरह से सभी वर्गों के लोग भारत जोड़ो यात्रा से जुड़े हैं उससे साफ हो गया है कि भारत जोड़ो यात्रा जिस मकसद से निकाली गई थी उसमें यह कामयाब रही है। कांग्रेस नेता ने कहा, “ये यात्रा न मैंने अपने लिए की, न कांग्रेस के लिए।

ये यात्रा हमने भारत की जनता के लिए की। नफ़रत के बाज़ार में मोहब्बत की दुकानें खोलने के लिए की। यात्रा के दौरान मैं कुछ बच्चों से मिला जो शायद मजदूरी करते थे। उन्होंने गर्म कपड़े नहीं पहने थे। जब मैं उनके गले लगा तो महसूस किया कि वे ठंड से कांप रहे थे। मुझे लगा कि अगर ये स्वेटर या जैकेट नहीं पहन पा रहे हैं तो मुझे भी नहीं पहनना चाहिए।”

उन्होंने कहा कि कश्मीर में लोगों के साथ अत्याचार हुआ है, इसलिए यहां के लोग बहुत डरे हुए हैं। इस संदर्भ में उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा “जब मैं यात्रा में चल रहा था, तब मुझे बहुत सारी महिलाएं मिली। उनमें से कुछ ने भावुक होकर बताया कि उनके साथ दुष्कर्म और उत्पीड़न हुआ है। जब मैंने कहा कि क्या मैं पुलिस को बताऊं तो उन्होंने कहा- नहीं राहुल जी, इससे हमारा नुकसान हो जाएगा।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि वह कश्मीर के लोगों के दर्द को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं। उनका कहना था कि इस तरह के दर्द से वह गुजरे हैं इसलिए इस दर्द को उन्होंने आसानी से महसूस किया है। उनका कहना था कि जो पीड़ा सहता है उसे मालूम होता है कि दर्द क्या होता है। उन्होंने कहा कि दर्द उनकी समझ में बचपन में ही आ आया था। उन्होंने कहा, “जब मैं स्कूल में था तब टीचर ने कहा- राहुल तुम्हें प्रिंसिपल ने बुलाया है।

प्रिंसिपल ने कहा- राहुल, तुम्हारे घर से फ़ोन आया है... यह शब्द सुनते ही मेरे पैर कांपने लगे और मैं समझ गया कि कुछ गलत हुआ है। जब फोन कान पर लगाया तो आवाज आई ‘दादी को गोली मार दी’।

तब मैं 14 साल का था। ये बात प्रधानमंत्री, अमित शाह या डोभाल जी को नहीं समझ आएगी, मगर ये बात कश्मीर के लोगों को समझ आएगी, ये बात सीआरपीएफ के लोगों को समझ आएगी, ये बात आर्मी के लोगों को समझ आएगी, उनके परिवारों को समझ आएगी।”

ये भी पढ़ें - विश्व शांति और प्रगति का मार्ग एशिया से होकर गुजरता है: इन्द्रेश कुमार

संबंधित समाचार