पकड़ा गया फर्जी डिग्री बनाने वाला गैंग... लखनऊ पुलिस ने अभियान चलाकर दबोचा, 25 हजार से 4 लाख में दे रहे थे मार्कशीट-डिग्री
लखनऊ, अमृत विचार: गोमतीनगर पुलिस व पूर्वी जोन के सर्विलांस टीम ने फर्जी डिग्री बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से 923 फर्जी मार्कशीट व प्रमाण पत्र, भारी मात्रा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और दो लाख रुपये बरामद किए गए हैं। आरोपियों में एक अयोध्या, एक उन्नाव और एक लखीमपुर जिले का निवासी है।
डीसीपी पूर्वी शशांक सिंह के मुताबिक शनिवार को पुलिस को सूचना मिली थी कि कई विश्वविद्यालयों के फर्जी अंकपत्र व डिग्री बनाकर बेचे जा रहे हैं।गिरोह विकासखंड इलाके में किराए पर कमरा लेकर डिग्री बनाने का काम करते थे। पुलिस टीम ने गिरोह के सदस्यों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर लगाए, जिसमें शनिवार देर शाम को लोकेशन दयाल पैराडाइज चौराहा पर मिली। घेराबंदी कर अयोध्या के पूरा कलंदर स्थित पलिया गोबा मखदूमपुर निवासी सत्येंद्र द्विवेदी, उन्नाव जिले के बीघापुर थाना क्षेत्र के घाटमपुर निवासी अखिलेश कुमार और लखीमपुरखीरी जिले के ईशानगर स्थित समैसा निवासी सौरभ शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया।
पूछताछ में तीनों ने बताया कि अलग-अलग राज्यों के विश्वविद्यालयों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर छात्रों को उपलब्ध कराते थे। मौके से विभिन्न विश्वविद्यालयों की कूट रचित मार्कशीट व डिग्री तैयार करने वाला पूरा सेटअप बरामद हुआ। पूछताछ में सामने आया कि गिरोह देश के कई राज्यों के विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर छात्रों को उपलब्ध कराता था।
25 हजार से 4 लाख तक में बेचते थे डिग्री
इंस्पेक्टर गोमतीनगर बृजेश चंद्र तिवारी के मुताबिक गिरफ्तार अभियुक्त छात्र-छात्राओं को बिना पढ़ाई बीटेक, बीसीए, एमसीए, एमएससी, बीए जैसी डिग्रियां दिलाने का लालच देते थे। कोर्स के हिसाब से 25 हजार से लेकर 4 लाख रुपये तक वसूले जाते थे। इन फर्जी डिग्रियों के सहारे कई लोग निजी क्षेत्र में नौकरी भी हासिल कर चुके हैं। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने अब तक 850 लोगों को डिग्री बेची है। गिरोह में एक दर्जन से अधिक लोग शामिल है। गिरफ्तार तीन आरोपियों के अलावा सात अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी मिली है। जिनकी तलाश में पुलिस की तीन टीमें दबिश दे रही है। जल्द ही इन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
25 से अधिक विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जीवाड़ा
आरोपी स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय (मेरठ), नॉर्थ ईस्ट क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी (नागालैंड), महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय (उत्तराखंड), कलिंगा विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़), जेआरएन राजस्थान विद्यापीठ (उदयपुर), साबरमती विश्वविद्यालय (गुजरात) सहित करीब 25 विश्वविद्यालयों के नाम पर फर्जी मार्कशीट/डिग्री तैयार कर रहे थे।
यक सामान हुआ बरामद
इंस्पेक्टर गोमतीनगर बृजेश चंद्र तिवारी के मुताबिक आरोपियों के पास से 25 से अधिक विश्वविद्यालय के 923 फर्जी मार्कशीट व प्रमाण पत्र, 15 कूट रचित मुहरें, 1 नीला इंक पैड, 2 लाख रूपये , 65 विशेष मार्कशीट पेपर, टाटा हैरियर कार, 6 लैपटॉप, 2 हार्डडिस्क, प्रिंटर, सीपीयू, 5 मोबाइल फोन, रजिस्टर, फाइलें, 5 चेकबुक/पासबुक बरामद हुआ है।
करोड़ों रुपए की फर्जी डिग्री बना चुका है गिरोह
जांच में सामने आया कि यह गिरोह 2021 से फर्जी डिग्री बनाने का काम कर रहा है। अब तक 1500 लोगों को फर्जी डिग्री दे चुके हैं। जिसकी कीमत 15 करोड़ रुपए बताई जा रही है। पुलिस को आरोपियों के पास से मिले दस्तावेजों व इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की जांच फोरेंसिक लैब से करा रही है। वहीं, गिरोह के आधा दर्जन सदस्यों को मामले में वांछित किया है। पुलिस जिन्होंने फर्जी डिग्री ली है, उनका डाटा भी तैयार कर रही है।
पीएचडी की और बना लिया ठगों का गिरोह
गिरोह का सरगना सत्येंद्र द्विवेदी कलिंगा विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में पीएचडी है। तो आरोपी अखिलेश कानपुर यूनिवर्सिटी से एमएससी कर रखा है। खरगापुर में निजी ऑनलाइन एग्जाम सेंटर चलाता है। वहां पर कई बार एग्जाम कराने के लिए सेंटर भी लेता था। वहीं से बच्चों को जाल में फंसाता। कई छात्रों को डिग्री देने से पहले एग्जाम कराता। इनका नेटवर्क कई राज्यों में फैला है। गिरोह में शामिल हर व्यक्ति के काम बंटे हैं। बच्चे लाने से लेकर डिग्री तैयार करने तक सब पहले से तय हैं।
