लखनऊ: दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव की शुरूआत

पुष्पकृषि मिशन के अंतर्गत 6 राज्यों के किसान समूहों से करीब 300 किसान एवं उद्यमी इस उत्सव में भाग ले रहे हैं

लखनऊ: दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव की शुरूआत

अमृत विचार, लखनऊ। रविवार को सीएसआईआर-एनबीआरआई के वनस्पति उद्यान के केन्द्रीय लॉन में दो दिवसीय पुष्प कृषि मेला एवं बोगनविलिया उत्सव की शुरूआत हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि, कृषि-शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी मुख्य अतिथि एवं महात्मा गांधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी बिहार के कुलपति डॉ. आनंद प्रकाश एवं आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अयोध्या के कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।

पुष्प कृषि मेला के संयोजक डॉ. केजे सिंह ने बताया कि मेले का आयोजन सीएसआईआर के पुष्पकृषि मिशन के अंतर्गत किया जा रहा है, जिसमे पूरे भारत वर्ष के 6 राज्यों के किसान समूहों से करीब 300 किसान एवं उद्यमी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य पुष्प कृषि तकनीकी एवं विकास, नई किस्मो की जानकारी को किसानो तक आसानी से पहुचाया जा सके ताकि पारंपरिक फसलों की खेती के साथ-साथ किसान फूलों की खेती करके अपनी आय को बढ़ा सके। उन्होंने बताया कि मेले में किसानों से फूलों की खेती करने के साथ अपनी उपज को मार्केट में कैसे उचित दर पर कैसे बेचे, पौधों के विभिन्न रोगों से रोकथाम, हाई टेक नर्सरी बनाने, खेती के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायक योजनाओं और अन्य तकनीकी जानकारी साझा की जाएगी। 

संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. एस के तिवारी ने बोगनविलिया उत्सव की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्थान द्वारा पहले से ही दो पुष्प प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता रहा है किंतु पिछले वर्ष से गर्मियों के एक प्रमुख शोभाकारी पौधे बोगेनविलिया को भी इस प्रदर्शनी में शामिल किया गया है। इस उत्सव में संस्थान द्वारा विकसित बोगनविलिया की दो दर्जन से ज्यादा किस्मों को प्रदर्शित किया जा रहा है, जिसमें बेगम सिकंदर, शुभ्रा, डा बीपी पाल, अर्जुना, अर्चना, मेरी पाल्मर स्पेशल, लॉस बनोस वैरिगेटा, अरुणा, डा पीवी साने आदि शामिल हैं।

उत्सव के मुख्य अतिथि डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि किसानों को आम प्रचलित किस्मों की जगह उन्नत फसलों की खेती हो या दलहन-तिलहन की फसलों को अदल बदल कर लगाना हो या फिर फल, सब्जी, अनाज एवं फूलों की खेती को अदल बदल कर करना, फसलों के विविधीकरण के माध्यम से उन्नत कृषि निश्चित ही किसानों की आय बढाने में सहायक है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसान ऐसी प्रयोगात्मक खेती समूह बना कर करें एवं एक ही प्रकार की खेती में पूरा पैसा न लगाएं तो निश्चित रूप से लाभ कमा सकते हैं। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. आनंद प्रकाश ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित डॉ. टी दामोदरन, डॉ. भास्कर नारायण एवं डॉ. आर विश्वनाथन ने भी किसानों एवं अन्य उपस्थित जन-समुदाय को संबोधित किया एवं इस कार्यक्रम के सफल आयोजन हेतु शुभकामनाएं दी।

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