बरेली: तत्कालीन वित्त अधिकारी ने प्रशासनिक और वित्तीय समस्याएं उत्पन्न होने का लगाया आरोप

बरेली: तत्कालीन वित्त अधिकारी ने प्रशासनिक और वित्तीय समस्याएं उत्पन्न होने का लगाया आरोप

बरेली, अमृत विचार। रुहेलखंड विश्वविद्यालय में शैक्षिक पदों पर नियुक्ति और संघटक महाविद्यालयों में पद सृजन में भी गड़बड़ी के गंभीर आरोप तत्कालीन वित्त अधिकारी केके शंखधार ने लगाए। वित्त अधिकारी ने सभी की जांच कराकर कार्रवाई की मांग की। शासन ने इस संबंध में विश्वविद्यालय से पहले भी रिपोर्ट मांगी थी। अब एक बार फिर से जवाब मांगा है।

कुलपति पर यह भी आरोप था कि विश्वविद्यालय में शैक्षिक पदों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किए गए थे। इसमें स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रम के भी पद शामिल थे लेकिन विज्ञापन में साफ नहीं किया गया था कि कौन से पद स्ववित्त पोषित हैं और कौन से नियमित। सही सूचना न देने से भविष्य में प्रशासनिक और वित्तीय समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

संघटक महाविद्यालयों में नहीं किया पद सृजन
आरोप है कि संघटक महाविद्यालयों में नियुक्तियां तो कर ली गईं लेकिन पद सृजन की कार्यवाही नहीं की गई। ऐसे में नियुक्ति उचित नहीं है। सेंटर ऑफ एक्सीलेंस एंड रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत उच्च शिक्षा विभाग से वित्तीय स्वीकृतियां जारी की गईं, जिसमें स्ववित्त पोषित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों को भी गलत तरीके से शामिल किया गया। योजना के प्रस्ताव कुलपति अनुमोदित करते हैं और कुलसचिव अग्रसारित करते हैं। शासन से वित्तीय स्वीकृतियां जारी होने के बाद वित्त अधिकारी पर दबाव बनाकर नियमविरुद्ध भुगतान करा लिया जाता है।

आउटसोर्सिंग कर्मियों के ईपीएफ में भी गोलमाल
विश्वविद्यालय में आउटसोर्सिंग एजेंसी से श्रमिकों की सेवाओं लेने के मामले में अनियमितताओं की आईजीआरएस पर शिकायत हुई थी। इस पर पूर्व वित्त अधिकारी ने कुलसचिव को सलाह दी थी कि ईपीएफ और ईएसआई का अंशदान सही ढंग से जमा नहीं किया जा रहा है। इसके बाद भी किसी ने जांच नहीं की तो उन्होंने खुद जांच कर तीन महीने के आंकड़ों का परीक्षण किया और कार्यवाही के लिए कुलपति को रिपोर्ट भेजी लेकिन कुलपति ने डेढ़ महीने बाद उनके खिलाफ ही पत्र जारी करके आरोप लगा दिया कि उन्होंने एजेंसी के साथ गुपचुप पत्राचार किया है। बताया गया है कि एजेंसी ने ईपीएफ में 50 लाख रुपये का गबन किया था।

परीक्षा में गाड़ियों पर 15 करोड़ का ज्यादा खर्च
आरोप है वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल से सितंबर 2022 तक परीक्षा संबंधी गाड़ियों पर लगभग 15 करोड़ का व्यय हो गया। अधिक खर्च होने पर परीक्षा नियंत्रक से पूर्व वित्त अधिकारी ने कई बिंदुओं पर जवाब मांगा। जवाब में नई शिक्षा नीति के तहत वर्ष में अधिक परीक्षाएं कराने की बात कही गई और गोपनीयता का हवाला देते हुए ड्राइवर और भुगतान का ब्योरा उपलब्ध कराने से इन्कार कर दिया गया।

चार करोड़ की कोरोना किट खरीदने का दबाव
बीएड प्रवेश परीक्षा 2022 के दौरान एक और घोटाले का आरोप लगाया गया है। उनके समक्ष कोराेना किट की खरीदारी के चार करोड़ से ज्यादा धनराशि के बिल प्रस्तुत किए गए और कुलपति ने उसके भुगतान के लिए दबाव बनाया लेकिन पर्याप्त धनराशि न होने के कारण भुगतान नहीं किया गया। बाद में जानकारी में आया कि कोराना किट की खरीदारी का प्रकरण एसटीएफ या सीबीआई जांच का बिंदु बन गया है।

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