केरल के ‘नादकावु’ मॉडल अपनाएगा जम्मू कश्मीर
तिरुवनंतपुरम। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर सरकारी स्कूलों का आधुनिकीकरण करने के लिए केरल के ‘नादकावु’ मॉडल अपनाने के लिए तैयार है। नदकावु मॉडल को कोझिकोड स्थित फैजल और शबाना फाउंडेशन ने प्रस्तुत किया है, जिसने इस संबंध में जम्मू कश्मीर सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है।
ये भी पढ़ें - पंजाब में लंपी त्वचा रोग के खिलाफ 90 फीसदी मवेशियों का टीकाकरण
इस फाउंडेशन की स्थापना 2007 में यूएई में रहने वाले केरल के उद्योगपति दंपति फैजल ई कोट्टीकोलन और उनकी पत्नी शबाना फैजल ने की थी। इससे सबसे पहले श्रीनगर के कोठीबाग में लड़कियों के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में शुरू किया जाएगा। इसका उद्देश्य विद्यालय को शैक्षिक उत्कृष्टता केंद्र के रूप में स्थापित करना है, जो कि जम्मू कश्मीर में अन्य स्कूलों के लिए एक ब्लूप्रिंट का काम करेगा।
समझौते के अंतर्गत यह फाउंडेशन परियोजना को वित्तपोषित करेगा और इसे लागू करने का दायित्व लेगा, जिसमे स्कूल का समग्र विकास भी शामिल है। फाउंडेशन के अध्यक्ष कोट्टीकोलन ने आश्वासन दिया है कि यह जम्मू कश्मीर के पब्लिक स्कूलों में शिक्षा का रुपांतरण करने वाला एक मॉडल साबित होगा। फाउंडेशन देश में एक मजबूत शैक्षिक प्रणाली स्थापित करने की कोशिश कर रहा है।
इसका उद्देश्य सभी स्तरों पर उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से समाज निचले वर्ग के लोगों को समान शिक्षा प्रदान करना है जिससे प्रत्येक बच्चा उस क्षमता को प्राप्त कर सके जहां तक वह सक्षम है। फाउंडेशन के वैश्विक प्रमुख डॉ जोसेफ सेबेस्टियन ने कहा कि फाउंडेशन स्कूल के शैक्षणिक कार्यों में लगे लोगों और छात्रों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से भी सहयोग प्राप्त करेगा।
जम्मू कश्मीर के स्कूल शिक्षा निदेशक डॉ तसद्दुक हुसैन मीर ने कहा कि एक बार यह मॉडल लागू हो जाता है तो सरकार इसे पूरे जम्मू कश्मीर में लागू करने की कोशिश करेगी। डॉ. मीर ने कहा कि हमें विश्वास है कि जम्मू कश्मीर सरकार तथा फैजल और शबाना फाउंडेशन के बीच यह सहयोग कश्मीरी छात्रों के उज्जवल भविष्य का निर्माण करेगा और एक मजबूत शिक्षा प्रणाली के विकास में अपना योगदान देगा।
फैजल ई कोट्टीकोलन केईएफ होल्डिंग्स के संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं और उनकी पत्नी शबाना फैजल इसकी उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने जरूरतमंद लोगों का उत्थान करने के लिए अपनी सामाजिक दायित्व के रूप में इसकी स्थापना की है।
कई मध्यवर्तनों द्वारा सामान्य स्कूलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के उद्देश्य से, इस दंपति ने अवसंरचना का आधुनिकीकरण किया और 2013 में कोझीकोड के नादकावु में 130 वर्ष पुराने लड़कियों के सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शैक्षिक स्तर को ऊपर उठाया, जिसमें 20 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि खर्च की गई।
फाउंडेशन ने शिक्षकों में नेतृत्व गुणों का निर्माण और छात्रों का कौशल विकास, सामुदायिक वृद्धि के साथ-साथ छात्रों को अकादमिक उत्कृष्टता केंद्रों से जोड़ने की पहल की है। केरल और तमिलनाडु में 1,200 से ज्यादा सरकारी स्कूलों ने इसकी स्थापना के बाद से 10 वर्षों के अंदर ‘नादकावु मॉडल’ अपनाया है। इस मॉडल को पश्चिम अफ्रीका के कुछ स्कूलों में भी लागू किया गया है।
ये भी पढ़ें - VIDEO: 'BAD' से बनी है बिहार की सरकार, अमित शाह ने मतलब भी बता दिया
