राज्यसभा में सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कहा- संसद भवन की पहली मंजिल से, मैंने आतंकवादियों को भागते देखा था
नई दिल्ली। राज्यसभा के सभापति सी पी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को कहा कि जब 13 दिसंबर, 2001 को संसद पर हमला हुआ था तब वह लोकसभा के सदस्य थे और संसद भवन की पहली मंजिल से, उन्होंने आतंकवादियों को भागते देखा था। उच्च सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने संसद पर हमले का जिक्र करते हुए कहा कि कल, 13 दिसंबर, 2025 को संसद भवन पर हुए दुखद आतंकवादी हमले की चौबीसवीं बरसी है। ‘‘यह हमला 13 दिसंबर, 2001 को हुआ था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उस दुर्भाग्यपूर्ण दिन को, जब हमारे लोकतंत्र के प्रतीक अर्थात भारतीय संसद की नींव को कमजोर करने के लिए उन आतंकियों ने निशाना बनाया, तो यह हमारे बहादुर सुरक्षाकर्मियों ने अपने अदम्य साहस और त्वरित कार्यवाही से उनके नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया।’’ सभापति ने कहा ‘‘लोकसभा के सदस्य के तौर पर, मैं उस दुखद समय का साक्षी बना था। संसद भवन की पहली मंजिल से, मैंने आतंकवादियों को भागते देखा था।’’
उन्होंने कहा कि इस हमले में देश के कई बहादुरों को खो दिया जो अद्वितीय वीरता का प्रदर्शन करते हुए हमलावरों और लोकतंत्र के इस मंदिर के बीच अडिग होकर खड़े रहे। ‘‘आइए हम उन बहादुर आत्माओं को याद करें और उन्हें श्रद्धांजलि दें जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। कर्तव्य के प्रति उनकी अटूट निष्ठा और निस्वार्थ वीरता यहां मौजूद सभी लोगों को प्रेरित करती रहेगी। यह हमारा पावन दायित्व है कि हम उन लोकतांत्रिक आदर्शों को आगे बढ़ाए जिनके लिए उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी।’’
सभापति ने कहा, ‘‘इस अवसर पर हम आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपने संकल्प को पुन: दोहराते हैं और अपनी मातृभूमि की एकता, अखंडता और संप्रुभता की रक्षा के अपने संकल्प की पुन: पुष्टि करते हैं।’’ इसके बाद सदन में सदस्यों ने शहीद सुरक्षाकर्मियों के सम्मान में कुछ पलों का मौन रखा। वर्ष 2001 में 13 दिसंबर को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया था। इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हुए थे। एक अन्य कर्मचारी और एक कैमरामैन की भी हमले में मौत हो गई थी।
सोर्स : भाषा एजेंसी
